सोमवार, 13 फ़रवरी 2023

Kissa Bhagat Singh

 किस्सा शहीद भगत सिंह

शहीद भगत सिंह की याद में
***1
हट कै क्यूकर बुलाऊँ मैं , पुनर्जन्म नहीं गया बताया ।।
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
1
तेईस साल का था जिब तूं फांसी का फंदा चूम गया
इन्कलाब जिंदाबाद का नारा फिरंगी का सिर घूम गया
पगड़ी सम्भाल जट्टा का गाना इनपै भारतवासी झूम गया
बम्ब गेरया असम्बली के मैं तूं मचा देश मैं धूम गया
समतावादी समाज बानावां इसका विचार यो बढाया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
2
मार्क्सवाद तैं ले कै प्रेरणा शोषण ख़त्म करना चाहया था
सबके हक़ बराबर होंगे इंकलाबी नारा यो लाया था
यानी सी उमर भगत सिंह तेरी गाँधी को समझाया था
गोरे जा कै काले आज्यांगे  सवाल तनै यो ठाया था
क्रांतिकारी नौजवानों का संगठन तमनै मजबूत बनाया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
3
ढाल ढाल के भारत वासी सबकी भलाई चाही तनै
यो सपना पूरा होज्या म्हारा नौजवान सभा बनाई तनै
अंध विश्वासी भारत मैं लड़ी विचारों की लडाई तनै
वर्ग संघर्ष सही रास्ता जिसपै थी  शीश चढ़ाई तनै 
तेरा रास्ता भूल गये ना सबकै आजादी का फल थ्याया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
4
तेरे सपनों का भारत देश भगत सिंह हम बना वांगे
मशाल जो तनै जलाई वा घर घर मैं हम ले ज्यावांगे
थाम नै फांसी खाई थी हम ना पाछै कदम हटा वांगे
जात पात गोत नात पै ना झूठा झगडा हम ठा वांगे
रणबीर सिंह बरोने आले नै दिल तैं यो छंद बनाया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।

***2

भगत सिंह (जन्म: 28  सितम्बर 1907 , मृत्यु: 23 मार्च 1931) भारत के एक प्रमुख क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे। भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है। इन्होंने केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें 23 मार्च 1931 को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। सारे देश ने उनके बलिदान को बड़ी गम्भीरता से याद किया। पहले लाहौर में साण्डर्स-वध और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय असेम्बली में चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। भगत सिंह ने मार्क्सवादी विचारधारा का गहन मंथन किया और इसी को संघर्ष का आधार बनाया |
सोने की चिड़िया  भारत म्हारा इसका हाल देखले आकै  ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
1
मेहनत कश देशवासियों नै यो खून पसीना एक करया
खेत कारखाने खूब कमाए यो देश खजाना खूब भरया
टाटा अम्बानी लूट कै लेगे आज अपने प्लान बनवाकै ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
2
तीनों फांसी का फन्दा चुम्मे दुनिया मैं इतिहास बनाया
थारी क़ुरबानी नै भारत मैं  आजादी का अलख जगाया
दिखावा करैं थारे नाम का असल मैं धरे टांड पै बिठाकै ॥
3
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
भ्रष्टाचार ठाठे मारै देखो दिल्ली के राज दरबारों मैं
कुछ भृष्ट नेता भ्रष्ट अफसर मौज करैं सरकारों मैं
बाट आजादी के फ़लां की आज  हम देखां सां मुंह बाकै ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
4
प्रेरणा लेकै थारे तैं हम आज कसम उठावां सारे रै
ज्यान की बाजी लाकै नै सपने पूरे करां थारे रै
लिखै रणबीर साची सारी आज एक एक बात जमाके ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥

***3

भगत सिंह राज गुरु सुखदेव के सपने अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। इसके कारणों में जाना और विचार करना जरूरी है। क्या बताया भला--

सपने चकनाचूर करे थारे देश की सरकारां नै।
जल जंगल जमीन कब्जाए देश के सहूकारां नै ।
1
शिक्षा हमें मिलै गुणकारी , भगत सिंह सपना थारा
मरै ना बिन इलाज बीमारी, भगत सिंह सपना थारा
भ्रष्टाचार कै मारांगे बुहारी, भगत सिंह सपना थारा
महिला आवै बरोबर म्हारी, भगत सिंह सपना थारा
बम्ब गेर आवाज सुनाई, बहरे गोरे दरबारां नै।
2
समाजवाद ल्यावां भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
कोए दुःख ना ठावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
दलित जागां पावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
अच्छाई सारै छावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
जनता चैन का सांस लेवै बिन ताले राखै घरबारां नै।
3
थारी क़ुरबानी के कारण ये आजादी के दिन आये
उबड़ खाबड़ खेत संवारे देश पूरे मैं खेत लहलाये
रात दिन अन्न उपजाया देश अपने पैरों पै ल्याये
चुनकै भेजे जो दिल्ली मैं उणनै हम खूब बहकाये
आये ना गोरयां कै काबू कर लिए अपने रिश्तेदारां नै।
4
समाजवाद की जगां अम्बानीवाद छाता आवै देखो
थारे सपने भुला कै धर्म पै हमनै लड़वावै देखो
मुजफ्फरनगर हटकै भगत सिंह थामनै बुलावै देखो
दोनों देशों मैं कट्टरवाद आज यो बढ़ता जावै देखो
रणबीर खोल कै दिखावै साच आज के नम्बरदारां नै।

4*******

भारत देश बहुत सालों तक गुलाम रहा। देश भक्तों ने संघर्ष किया तो 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। सबसे बड़ा गणतन्त्र है। क्या बताया भला--
यो गणतंत्र सबतै बड्डा भारत आवै कुहाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
2
दो सौ साल गोरया नै भारत गुलाम राख्या म्हारा था
गूंठे कटाये कारीगरां के मलमत दाब्या म्हारा था
सब रंगा का समोवश था फल मीठा चाख्या म्हारा था
भांत-भांत की खेती म्हारी नहीं ढंग फाब्या म्हारा था
फूट गेर कै राज जमाया कही जाती बात समाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
2
वीर सिपाही म्हारे देस के ज्यान की बाजी लाई फेर
लक्ष्मी सहगल आगै आई महिला विंग बनाई फेर
दुर्गा भाभी अंगरेजां तै जमकै आड़ै टकराई फेर
याणी छोरियां नै गोरयां पै थी पिस्तौल चलाई फेर
गोरे लागे राजे रजवाड़यां नै अपणे साथ मिलाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
3
आवाज ठाई जिननै उनके फांसी के फंदे डार दिये
घणे नर और नारी देस के काले पाणी तार दिये
मेजर जयपाल नै लाखां बागी फौजी त्यार किये
फौज आवै बगावत पै म्हारे बड्डे नेता इन्कार किये
नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी मैं अंग्रेज लगे दबाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
4
आजादी का सपना था सबकी पढ़ाई और लिखाई का
आजादी का सपना था सबका प्रबन्ध हो दवाई का
आजादी का सपना था खात्मा होज्या सारी बुराई का
आजादी का सपना था आज्या बख्त फेर सचाई का
हिसाब लगावां आजादी का रणबीर सिंह के गाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

5******

पन्दरा अगस्त आजादी का दिन --एक लेखा जोखा उन कुर्बानियों का जिनके दम पर देश आजाद हुआ---

कितने गये काला पानी कितने शहीद फांसी टूटे रै।।
पाड़  बगा दिए  गोरयां के गढ़रे थे जो देश मैं खूंटे रै ।।
1
पहली आजादी की जंग थारा सो सतावन  मैं लड़ी थी
बंगाल आर्मी करी बगावत जनता भी साथ भिड़ी थी
ठारा  सौ सतावन के मैं जन क्रांति के बम्ब फूटे रै ।।
2
भगत सिंह सुख देव राजगुरु फांसी का फंदा चूमे
उधम सिंह भेष बदल कै लन्दन की गालाँ  मैं घूमे
चंदर शेखर आजाद साहमी गोरयां के छक्के छूटे रै।।
3
सुभाष चन्द्र बोश नै आजाद हिंद फ़ौज बनाई थी
महिला विंग खडी करी लक्ष्मी सहगल संग आई थी
धुर तैं आजादी खातिर ये किसान मजदूर भी जुटे रै ।।
4
गाँधी की गेल्याँ जनता जुड़गी हर तरियां साथ दिया 
चाल खेलगे गोरे फेर बी देश मैं बन्दर बाँट किया
बन्दे मातरम अलाह हूँ अकबर ये हून्कारे उठे रै ।।
5
सोच घूमै इब्बी जिसने देख्या खूनी खेल बंटवारे का
लाखां घर बर्बाद हुए यो क़त्ल महमूद मुख्त्यारे का
दो तिहाई नै आज बी रोटी टुकड़े पानी संग घूंटे रै ।।
6
छियासठ साल मैं करी तरक्की नीचे तक गई नहीं
ऊपरै ऊपर गुल्पी आजादी नीचै जावन दई नहीं
रणबीर सिंह टोह कै ल्यावै खुये मक्की के भूट्टे  रै ।।

6******

भगत सिंह हर के सपने
जिन सपन्यां खातर फांसी टूटे हम मिलकै पूरा करांगे ।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
1
सबको मिलै शिक्षा पूरी यही तो थारा विचार बताया
समाज मैं इंसान बराबर तमनै यो प्रचार बढ़ाया
एक दूजे नै कोए ना लूटै थामनै समाज इसा चाहया
मेहनत की लूट नहीं होवै सारे देश मैं अलख जगाया
आजादी पाछै कसर रैहगी हम ये सारे गड्ढे भरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
2
फुट गेरो राज करो का गोरयां नै खेल रचाया था
छूआ छूत पुराणी समाज मैं लिख पर्चा समझाया था
समाजवाद का पूरा सार सारे नौजवानों को बताया था
शोषण रहित समाज होज्या इसा नक्शा चाहया था
थारे विचार आगै लेज्यावांगे हम नहीं किसे तैं डरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
3
नौजवानो को भगत सिंह याद आवै सै थारी क़ुरबानी
देश की खातर फांसी टूटे गोरयां की एक नहीं मानी
देश की आजादी खातर तकलीफ ठाई थी बेउन्मानी
गोरयां के हाथ पैर फूलगे जबर जुल्म करण की ठानी
क्रांतिकारी कसम खावैं देश की खातर डूबाँ तिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
4
बहरे गोरयां ताहिं हमनै बहुत ऊंची आवाज लगाई
जनता की ना होवै थी सुनायी ज्यां बम्ब की राह अपनाई
नकाब फाड़ना जरूरी था गोरे खेलें थे  घणी चतुराई
गोरयां की फ़ौज म्हारी माहरे उप्पर करै नकेल कसाई
रणबीर कसम खावां सां चाप्लूसां तैं नहीं घिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।

7******
**भगत सिंह के रास्ते को अपनाना  होगा**

एक दिन जनता जागैगी, भ्रष्ट राजनीति भागैगी, घोटाल्याँ पाबंदी लागैगी, इन सबकी सै आस मनै।।
1
असल मैं तो नौकरी आज बहोत घणी बची कोण्या
बिना सिफारिश पीसे मिलज्या या बात जँची कोण्या
यो हिसाब जनता माँगैगी,या कसूरवारां नै टाँगैगी,
ठेकेदारां नै पूरा छांगैगी, इसका सै अहसास मनै।।
2
जो भी परिवर्तन आया वा या जनता ल्याई देखो
शोषण का रूप बदल्या जब जनता ली अंगड़ाई देखो
लगाम अमीरों कै लागैगी,हथकड़ी उनकै फाबैगी,
जनता उस दिन नाचैगी,उलगी आवैगी सांस मनै।।
3
जनता की जनवादी क्रांति सुधार आवै पूरे समाज मैं
कोये भूखा नहीं सोवै अमन शांति छावै पूरे समाज मैं
छुआछूत ना टोही पावैगी ,भ्रष्टाचार ना भाजी थ्यावैगी, भूख ना फेर सतावैगी , बनता दीखै इतिहास मनै।।
4
यो हासिल करने खातर  भगत सिंह बनना होगा
जनतंत्र असली खातर संघर्ष मैं उतरना होगा
अर्थ नीति बदली जावैगी,फेर सांस मैं सांस आवैगी,दुनिया मैं शांति छावैगी, रणबीर देवै विश्वास मनै।।

8*****

लेखक भगत सिंह को आह्वान करके क्या कहता है ------
देख ले आकै सारा हाल , क्यों देश की बिगड़ी चाल, सोने की चिडया सै कंगाल , भ्रष्टाचार नै करी तबाही ।।
1
अंग्रेज तैं लड़ी लडाई , थारी कुर्बानी आजादी ल्याई
देश के लुटेरों की बेईमानी फेर म्हारी बर्बादी ल्याई
क्यों भूखा मरता कमेरा , इसनै क्यूकर लूटै लुटेरा, करया चारों तरफ अँधेरा,माणस मरता बिना दवाई ।।
2
चारों कान्ही आज दिखाऊँ , घोटालयां की भरमार दखे
दीमक की तरियां खावै सै समाज नै यो भ्रष्टाचार दखे
ये चीर हरण रोजाना होवें , नाम देश का जमा ड़बोवैं , लुटेरे आज तान कै सोवें, शरीफों की श्यामत आई ।।
3
थारे विचारों के साथी तो डटरे सें जमकै मैदान के माँ
गरीबों की ये लड़ें लडाई म्हारे पूरे हिंदुस्तान के माँ
भगत सिंह ये साथी थारे , तेरी याद मैं कसम उठारे, संघर्ष करेँ यो बिगुल बजारे ,चाहते ये मानवता बचाई ।।
4
बदेशी कंपनी थारे देश नै फेर गुलाम बनाया चाहवैं
मेहनत लूट मजदूर किसानों की ये पेट फुलाया चाहवैं
भारी दिल तैं साथी रणबीर, लिखै देश की सही तहरीर, भगत तमनै जो बनाई तस्बीर, देख जमा ए पाड़ बगाई।।

9*****

राज गुरु सुख देव भगत सिंह तेईस मार्च नै फांसी पै लटकाये।।
हुसैनी वाला में अधजले तीनूं  सतलुज नदी के मैं गये बहाए।।
1
धार्मिक कट्टरवाद और अंधविश्वास समाज के बैरी बताये
विकास के पक्के रोड़े सैं इनपै लिख कै संदेश घर घर पहूंचाये
लिख मैं नास्तिक क्यों सूं एक पुस्तिका मैं अपने विचार बताये।।
2
इंसान के छूने से सवाल करया हम अपवित्र कैसे हो ज्यावैं
पशु नै रसोई मैं ले जाकै क्यों हम अपनी गोदी के मैं बिठावैं
कति शर्म नहीं आती हमनै क्यों इसे रिवाज समाज मैं चलाये।।
3
जो चीज आजाद विचारों नै बर्दाश्त नही कर पावै देखो रै
हों इसी चीज खत्म समाज तैं तीनूं नौजवान चाहवैं देखो रै
समाजवाद के पढ़े विचार इंकलाब जिंदाबाद के नारे लाये।।
4
लोग नहीं लड़ें आपस के मैं जरूरत वर्ग चेतना की बताई
किसान मजदूर की असली बैरी पूंजीपति की वर्ग समझाई
सुखदेव राजगुरु भगत सिंह नै रणबीर ना पाछै कदम हटाये ।।

****10
शहीद भगत सिंह पर रचित एक रागनी::
भगतसिंह नै अपनी निभाई ईब हम अपनी निभावांगे ।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
इंसानियत भूलकै समाज हैवानियत कान्ही चाल पड़या
शोषण रहित समाज का सपना चौराहे पै बेहाल खड़या
थारा संगठन जिस खातर लड़या उस विचार का परचम फैहरावांगे।।
तेईस साल की कुल उम्र चरों कान्ही तैं इतना ज्ञान लिया
बराबर हों इंसान दुनिया के मिलकै तमनै ब्यान दिया
मांग महिला का सम्मान लिया थारी क्रांति का झंडा लैहरावांगे।।
हंसते हंसते फांसी चूमगे इंकलाब जिंदाबाद का नारा लाया
बम्ब गैर कै एसैम्बली मैं नारा अंग्रेजां कै था याद दिलवाया
मिलकै सबनै प्रण उठाया गोरयां नै हम बाहर भजावांगे।।
जेल मैं पढी किताब के थोड़ी नोट किया सब डायरी मैं
आतंकवादी का मतलब समझां फर्क समझां क्रांतिकारी मैं
कहै रणबीर बरोने आला घर घर थारा सन्देश लेज्यावांगे।।
11.9.2016

******11
किस्सा शहीद भगत सिंह
भगत सिंह जेल से अपने पिताजी के नाम एक पत्र लिखकर सरकार को उनके द्वारा भेजी अपील का सख्त विरोध करते हैं । क्या बताया इस रागनी में :-
अर्जी पिता किशनसिंह नै ट्रिब्यूनल ताहीं दी बताई थी।।
दलील दे बचाव खातर  कोर्ट जाणे की प्लान बनाई थी ।।
भगत सिंह और उसके साथी इसतैं सहमत नहीं बताये
अंग्रेजां की बदले की नीति बोले पिता समझ नहीं पाये
जिंदगी की भीख नहीं मांगां सन्देश बाबू धोरै भिजाई थी।1।
दलील दे बचाव खातर-------
हम तो हैरान पिताजी क्यों आपनै आवेदन भेज दिया
बिना मेरे तैं सलाह करें इसा गल्त क्यों काम किया
राजनितिक विचारों की दूरी कई बारियां समझाई थी।
2।
दलील दे बचाव खातर-------
थारी हाँ ना के ख्याल बिना मैं अपना काम करता आया सूँ
मुकद्दमा नहीं लड़ूंगा इसपै मैं धुर तैं खड़या पाया सूँ
अपने सिद्धान्त कुर्बान करकै नहीं बचना कसम खाई थी3।
दलील दे बचाव खातर---------
आप पिता मेरे ज्यां करकै मनै सख्त बात नहीं लिखी सै
थारी या बड़ी कमजोरी बात साफ़ मनै कहनी सिखी सै
रणबीर इस्सी उम्मीद कदे मनै आपतैं नहीं लगाई थी।।4
दलील दे बचाव खातर---------
16.9.16

*******12
जब जब जनता जागी  यो जुल्मी शोषक झुका दिया ।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।
आजाद देश का सपना पहुंचा शहर और गांव मैं
भगत सिंह फांसी टूटा जोश था  देश तमाम मैं
दुर्गा भाभी गेल्याँ  जुटगी इस आजादी के काम मैं
लाखाँ नर और नारी देगे या कुर्बानी गुमनाम मैं
कुर्बानी बिना नहीं आजादी गांधी अलख जगा दिया ।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।
गोरे गये आगे काले गरीबी जमा मिटी नहीं सै
बुराई बढती आवै सै भिद्द इसकी पिटी नहीं सै
अच्छाई संघर्ष करण लागरी आस जमा घटी नहीं सै
जनता एक दिन जीतेगी या उम्मीद छुटी नहीं सै
म्हारी एकता तोडण़ खातिर जात पात घणा फैला दिया।।
भारत तैं जुल्मी गौरा मिलकै सबनै भगा दिया।।
जात पात हरियाणा की सै सबतैं बड्डी बैरी भाइयो
विकास पूरा होवण दे ना दुनिया याहे कैहरी भाइयो
वैज्ञानिक सोच काट सै इसकी जड़ घणी गहरी भाइयो
अमीराँ की जात अमीरी म्हारै गरीबी फैहरी भाइयो
समता वादी समाज होगा संघर्ष का डंका बजा दिया ।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।
दारू माफिया मुनाफा खोर इनकी पक्की यारी देखो
भ्रष्ट पलसिया औछा नेता करता चौड़े गद्दारी देखो
बिचोलिया घणे पैदा होगे म्हारी अक्ल मारी देखो
लंबे जन संघर्ष की हमनै कर ली तैयारी देखो
रणबीर भगत सिंह ने रास्ता सही दिखा दिया।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।

******13
23 मार्च शहादत दिवस के मौके पर
देख हालत आज देश की थारी याद घणी आवै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
1
सबको शिक्षा काम सबको का नारा थामने लाया था
इंकलाब जिंदाबाद देश में जोर लगा गुंजाया था
शोषण रहित समाज थारी डायरी लिखा पावै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
2
अंग्रेजों के खिलाफ थाम नै जीवन दा पै लगा दिया

आजादी का संदेश यो घर घर के में पहुंचा दिया
तीनों साथी फांसी चढ़गे  देश शहादत मना वै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
3
सरफरोशी की तमन्ना बोले इब म्हारे दिल मैं सै
देखना सै जोर कितना बाजू ए कातिल थारे मैं सै
एक नौजवान तबका थाम नै उतना ए चाहवै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
4
धर्म के नाम पर समाज बांटें आज देश भगत बनरे
हिंदू मुस्लिम के नाम पै बना कै पाले बन्दी तनरे
रणबीर थारी कुर्बानी हम सब मैं जोश लयावै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

14******
जनता की जनवादी क्रांति हम बदल जरूर ल्यावाँगे रै ॥ 
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
1
जनतन्त्र का मुखौटा पहर कै राज करै सरमायेदारी या
जल जंगल जमीन धरोहर बाजार के मैं बेचै म्हारी या
हम लोगां का लोगां की खातर लोगां का राज चलावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
2
कौन लूटै जनता नै इब सहज सहज पहचान रहे
आज घोटाले पर घोटाले कर ये कारपोरेट बेईमान रहे
एक दिन मिलकै इन सबनै हम जेल मैं पहोंचावांगे रै  ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
3
जनता जाओ चाहे भाड़ मैं बिदेशी पूंजी तैं हाथ  मिलाया
दरवाजे खोल दिए उन ताहिं गरीबाँ का सै भूत बनाया
जमा बी हिम्मत नहीं हारां मिलकै नै सबक सिखावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
4
बढ़ा जनता मैं  बेरोजगारी ये नौजवान भटकाये देखो 
जात पात गोत नात मैं बांटे आपस मैं भिड़वाये देखो
किसान मजदूर के दम पै करकै संघर्ष दिखावांगे रै ॥

रविवार, 7 जून 2020

सुभाष चंद्र बोस


20 जुलाई 1940 को जर्मनी ने ब्रिटेन पर जब बमबारी शुरू की तो इसका जबरदस्त प्रभाव भारतीय स्वतंत्रता संग्रामी जनमानस नेताओं पर पड़ा 'शत्रु का दुश्मन अपना मित्र' के विचार से ज्यादातर लोग अभिभूत हुए और जर्मनी के पक्षधर। जर्मनी से ब्रिटेन को पिटते देख आम भारतीय खुश थे। क्रांतिकारी मत का प्रतिनिधित्व कर रहे सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी की वैरियत का शिकार हुए। क्या बताया भला-

दूसरे विश्व युद्ध पै कांग्रेस मैं विचार कई पाये रै।।
महात्मा गांधी सुभाष बोस आपस के मैं टकराये रै।।
1
एक सितंबर उनतालीस नै युद्ध का डंका बजाया था
जर्मनी का पौलैंड पै हमला हिटलर नै करवाया था
ब्रिटेन कै ऊपर जर्मनी नै बमबां का दौर चलाया था
शत्रु का दुश्मन मित्र अपना भारत मैं विचार छाया था
जर्मनी नै ब्रिटेन पिट्या हिन्दवासी जर्मनी साथ पाये रै।।
2
देश की मुख्यधारा आलयां नै ब्रिटेन कै शर्त लगाई रै
आजादी की गारंटी शर्त पै ब्रिटेन की साथ निभाई रै
ब्रिटेन ढावण का मौका सै क्रांतिकारी आवाज आई रै
इसे कारण सुभाष बोस की कांग्रेस नै करदी विदाई रै
इन हालातों मैं बोस नै अपने न्यारे रास्ते अपनाए रै।।
3
फेर फारवर्ड ब्लॉक पार्टी सुभाष बोस नै बनाई रै
विदेश जावण की बोस नै अपनी इच्छा जताई रै
पंजाब कीर्ति किसान पार्टी बोस की मदद पै आई रै
पेशावर रास्ते काबुल तक भेजने की स्कीम सुझाई रै
भारत सुरक्षा क़ानून मैं सुभाष जेल के मैं खंदाये रै।।
4
जेल मैं क्रान्तिकारियाँ साथ विचार विमर्श हुया कहते
देश छोड़ कै जावण का फैसला सुभाष नै लिया कहते
आमरण अनशन गेल्याँ गिरफ्तारी विरोध किया कहते
रणबीर जनता के दबाव तैं जेल तैं करया रिहा कहते
गौरी सरकार नै घर मैं बोस नजरबन्द करवाये रै।।


सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन (23 जनवरी ) के मौके पर एक रागनी
शत शत शत प्रणाम तनै आजाद हिंद फौज बनाई ।।
 फिरंगी की ईसके दम पै तने ईंट तैं ईंट बजाई।।
 बासठ साल मौत नै  होगे  बेरा नहीं लग पाया
इतिहास की किताबों मैं यो विमान हादसा बताया
ठाराँ अगस्त नै मातम छाया खबर मौत की आई ।।
 फिरंगी की ईसके दम पै तने ईंट तैं ईंट बजाई।।
कद हुई मौत ना बेरा फेर जिंदा तूँ म्हारे दिल मैं
जिस आजादी खातिर लड़े वा हटकै फिर मुश्किल मैं
 या नाग पुकारै बिल में धर्म पै नफरत फैलाई ।।
 फिरंगी की ईसके दम पै तने ईंट तैं ईंट बजाई।।
तेईस जनवरी का दिन हमेशा हमनै याद रहैगा
दिल म्हारा इस दिन सुभाष बोस जिंदाबाद कहैगा
जुल्म खिलाफ वो फहैगा जो सच्चा वीर सिपाही ।।
 फिरंगी की ईसके दम पै तने ईंट तैं ईंट बजाई।।
तेरे सपन्यां का भारत आज तलक ना बन पाया
मुट्ठी भर ऐस करैं बाकी मरे भूखा तिसाया
रणबीर नै अलख जगाया करकै तेरी कविताई  ।।

 फिरंगी की ईसके दम पै तने ईंट तैं ईंट बजाई।।



किसानों पर तथा आम जनतपर अंग्रेजों के अत्याचार बढ़ जाते हैं |
 जलियावाला कांड हुआ फिर रोलेट एक्ट की बात चली और गाँधी
जी का भारत छोडो आंदोलन चला उधर आजाद हिन्द फ़ौज का
होंसला बनाये रखने के लिए बहुत सारी बातें सुभाष चन्दर बोस
 फौजियों से करते हैं |  क़्या बताया भला ---

अंग्रेजों नै लूट मचाई यो चारों कूट रोला पड़ग्या।
एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।
1
घर बनाये तबेले देश मैं रही माणस की खोड़ नहीं
जात पात पर भिड़वारे आज जुल्मों  का औड़ नहीं
शोषण करैं देश का इमान का जुलूस लिकड़ग्या।।
एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।
2
मेहनत करी लोगां नै विज्ञान नै राह दिखाया
या दुनिया बदल दई घणा खून पसीना बाहया
गोरयां नै डाण्डी मारी भारत कति तै पिछड़ग्या ||
 एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।
3
न्याय की बात भूलगे नहीं ठीक करया बंटवारा
पांच सितारा होटल दूजे कान्ही यो फूटया ढारा
देश  की कमाई का मुनाफा अंग्रेजों कै बड़ग्या।।
एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।
4
रेडिओ पै सपने हमनै आज खूब दिखाये जावैं
रणबीर लालच देकै नै  पिठू आज बनाये  जावैं
डर आजादी की लड़ाई तैं गोरा और अकड़ग्या ||
 एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।

 सुभाष चंद्र बोस

एक महिला कार्यकर्ता सुभाषचंद्र बोस से कुछ बातें करती है और क्या कहती है ::-
कांग्रेस क्यों छोड्डी थामनै इतना तो मनै बताईयो जी।।
गर्म दल क्यों बनाया यो इतना मनै समझाईयो जी।।
1
के हालात बने बोस जी इसे जो कांग्रेस छोड़नी पड़गी
सबतै बड्डी पार्टी तैं क्यों थामनै बात मोड़नी पड़गी
एक एक बात आच्छी ढालां खोल कै दिखाईयो जी।।
माणस लड़ाकू और ज्ञानी कहते जनता नै लगे
थारे प्रति मोह बहोत ये कहते जनता के जगे
सत्तो फत्तो सरतो साथ सैं मतना कति घबयाईयो जी।।
यूं दिल कहता बोस मेरा थाम साच्चे लीडर म्हारे
कहते सारे हिंदुस्तान मैं सबके थाम सो घणे प्यारे
मनै दिल की बात कहदी दिल की बात सुनाईयो जी।।
जय हिंद जय हिंद होरी यो पूरा भारत याद करै
बढ़ते जाओ बोस आगै सारी जनता फरियाद करै
रणबीर जरूरत हो कदे तो हमनै साथ मिलाईयो जी।।


सुभाष चन्द्र बोस हमनै थारी याद घणी आवै सै।।
थारे करे पै पाणी फेर रहे देख दिल दुख पावै सै।।
1
आजाद देश का थारा सपना कितै नजर ना आंता
मेहनत म्हारी हुई तरक्की ये फल कोये दूजा खांता
गरीब ताहिं पहोंचै आजादी सपना खिंडता जावै सै।।
थारे करे पै पाणी फेर रहे देख दिल दुख पावै सै।।
2
माणस माणस का प्रेम बढ़ैगा यो सपना थारा था
किसान मजदूर खुस रहवैगा यो सपना म्हारा था
भ्रष्टाचार की तूती बोली जयहिंद का मुंह चिड़ावै सै।।
थारे करे पै पाणी फेर रहे देख दिल दुख पावै सै।।
3
देख कै हाल देश का फेर आई सी एस त्यागी थी
देख कुर्बानी तेरी नै नौजवान की आत्मा जागी थी
यो नौजवान भारत देश का हटकै थामनै बुलावै सै।।
थारे करे पै पाणी फेर रहे देख दिल दुख पावै सै।।
4
इंसानियत छाज्या सारे कै बोस थारा यो सपना था
हथियार तैं आजादी पाऊं फौजी सिपाही अपना था
कहै रणबीर बरोने आला थारी याद घणी सतावै सै।।
थारे करे पै पाणी फेर रहे देख दिल दुख पावै सै।।



सुभाष चंद्र बोस तेरी याद बहोत घणी आवै सै रै।।
भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।।
1
थारी कुर्बानी तो भूल गए देश पढण बिठाया देख
घोटाले पर घोटाले करकै घणा उधम मचाया देख
गुलाम पहले ब्रिटेन का इब अमरीका आया देख
लूट के तरीके बदल लिए किसान दुख पाया देख
कांग्रेस मैं तनै देख्या था कई हिचकोले खावै सै रै।।
भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।
2
अंग्रेज ताहवण खातर आजाद हिन्द फौज बनाई रै
तम खूनदयो मैं आजादी दिलाऊँ या आवाज लाई रै
गोरे घणे जुल्मी सैं इसकी घर घर मैं अलख जगाई रै
गोर शासक पक्के बैरी जनता आछी ढाल समझाई रै
थारे बारे मैं या दादी मेरी कई कहानी सुणावै सै रै।।
भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।
3
थारी मौत के बारे मैं बादल आज तलक छाए सुभाष
हवाई जहाज की दुर्घटना मैं खत्म हुए बताये सुभाष
किसे नै कहि अक रूस में एक बै नजर आए सुभाष
इतने साल हो लिए हम सच्चाई ना जान पाए सुभाष
ईसा लागै सै जणु सुभाष दरवाजे खट खटावै सै रै।।
भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।
4
सुभाष थारे सपन्यां का भारत हम बना नहीं पाए
सारे नर नारी सुख पावैं इसे कदम उठा नहीं पाए
गरीब की झोंपड़ी मैं आजादी हम पहुंचा नहीं पाए
सबको शिक्षा काम सबको देश मैं दिवा नहीँ पाए
रणबीर सिंह बरोने आला अपना सीस झुकावै सै रै।।
भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।


सुभाष बोस और एमिली शेंकन
एमिली शेंकन का जन्म सन उन्नीस सौ दस मैं बताया।।
नेता सुभाष चन्द्र बोस का यो पूरी तरियां साथ निभाया।।
1
सन चालीस मैं ऑस्ट्रिया मैं जा करकै नै इलाज कराया
बोस किताब लिखी उड़ै टाइप की खातर मानस चाहया
मित्र नै एमिली शेंकन को सुभाष बोस तैं था मिलवाया।।
नेता सुभाष चन्द्र बोस का यो पूरी तरियां साथ निभाया।।
2
सुभाष बोस एमिली बीच मैं प्यार की पींघ बधण लगी
नाजी जर्मनी के सख्त कानून बात उनको खलण लगी
बॉड गास्टिन मैं दोनों नै अपना बयालीस मैं ब्याह रचाया।।
नेता सुभाष चन्द्र बोस का यो पूरी तरियां साथ निभाया।।
3
कुछ महीने साथ रहे दोनूं बोस नै भारत आना पड़ग्या
गर्भवती एमिली नै एकेले बोझ यो पूरा ठाना पड़ग्या
बेटी जन्मी एमिली नै फेर सुभाष मूंह ना देखण पाया।।
नेता सुभाष चन्द्र बोस का यो पूरी तरियां साथ निभाया।।
4
हटकै नै सुभाष चन्द्र बोस नाजी जर्मनी मैं आये भाई
चार सप्ताह की बेटी का मुँह सुभाष थे देख पाये भाई
रणबीर बेटी का नाम करण अनिता बोस था कराया।।
नेता सुभाष चन्द्र बोस का यो पूरी तरियां साथ निभाया।।


26 जनवरी, 1941 को सारा देश स्तब्ध रह गया , जब यह सुना कि सुभाष बोस गायब हो गए हैं और ब्रिटिश पुलिस गिरफ्तारी के लिए उनके पीछे पड़ी है। 17 जनवरी की रात सवा बजे मोटर गाड़ी पर कलकत्ता से गोमो रेलवे स्टेशन जाकर रेल से वो पेशावर पहुंच गए और कीर्ति किसान पार्टी के हवाले हो गए कैसे काबुल पहुंचे और फिर बर्लिन इस रागनी में क्या बताया भला---
सुभाष बोस कड़ै गायब होगे गोरे घणे घबराए रै।।
गुप्त तरीके सुभाष बोस के वे समझ नहीं पाए रै।।
1
गोमो रेलवे स्टेशन ऊपर कलकत्ता तैं चाल कै आये
रातों रात सफर करया था गोरे बात समझ ना पाये
कीर्ति किसान पार्टी द्वारा पेशावर मैं गए ठहराए रै।।
गुप्त तरीके सुभाष बोस के वे समझ नहीं पाए रै।।
2
नेता अकबर शाह नै जुगाड़ काबुल जाने का बिठाया
भगतराम गाइड संग मूक बीमार सुभाष बोस खंदाया
इलाज करावण जावां सां इस बाहनै काबुल आये रै।।
गुप्त तरीके सुभाष बोस के वे समझ नहीं पाए रै।।
3
काबुल मैं जाकै जाना चाहया सोवियत दूतावास था
करैगा बिना शर्त मदद म्हारी यो बोस के विश्वास था
उनते ना मिल पाए तो बर्लिन कान्ही कदम बढ़ाये रै।।
गुप्त तरीके सुभाष बोस के वे समझ नहीं पाए रै।।
4
बर्लिन मैं प्रवासी हिंदुस्तानी सबको पुकार लगाई
रणबीर सुभाष बोस नै बिगुल आजादी की बजाई
छद्म नाम ओलन्डो मजिस्ट्रा बर्लिन मैं प्लान बनाये रै।।
गुप्त तरीके सुभाष बोस के वे समझ नहीं पाए रै।।



बर्लिन में रहते हिटलर के साथ सुभाष बोस की दो बार मुलाकात हुई बताते हैं।हिटलर का मानना था कि सुसभ्य जाति ही आजादी की हकदार होती है और भारत को सभ्य बनने में अभी डेढ़ सौ साल और लगेंगे इसलिए भारत को आजादी के लिए और ईंतजार करना होगा ।सुभाष क्या जवाब देते हैं भला ----
सुभाष बोस हिटलर की हुई दो मुलाकात बताई रै।।
भारत नै सभ्य बनाओ हिटलर नै सलाह जताई रै।।
1
हिटलर बोल्या सुसभ्य जाति आजादी की हकदार होवैं
डेढ़ सौ साल और लगें भारत के सभ्य व्यवहार होवैं
लाम्बा ईंतजार करना होगा हुक्म सी उसनै सुनाई रै।।
भारत नै सभ्य बनाओ हिटलर नै सलाह जताई रै।।
2
क्रूरता के प्रतीक आगै बैठे सुभाष नै इनकार करया
भारत इबै आजादी चाहवै सुभाष नै हुंकार भरया
विचार ये हिटलर ताहिं कहण की हिम्मत दिखाई रै।।
भारत नै सभ्य बनाओ हिटलर नै सलाह जताई रै।।
3
जर्मनी तैं मदद लेने की सुभाष नै शर्त धरदी फेर
म्हारे हाथ मैं कमान होगी उनै बात साफ करदी फेर
दूजे मोर्चे पै म्हारी फ़ौज नहीं लड़ेगी कोये लड़ाई रै।।
भारत नै सभ्य बनाओ हिटलर नै सलाह जताई रै।।
4
दूजी फौज गेल्याँ शामिल ना होवैगी फौज म्हारी रै
रणबीर ब्रिटिश बैरी म्हारा उतै रहैगी जंग जारी रै
भारत फौज की सूरत जर्मन फौज बराबर चाही रै।।
भारत नै सभ्य बनाओ हिटलर नै सलाह जताई रै।।

अपने वक्तव्य में कर्नल हबीबुर्रहमान ने बताया" विमान बहुत ऊपर नहीं गया था और अभी एयरफील्ड सीमा के अंदर ही था कि मुझे विमान के सामने के हिस्से से धमाके की आवाज सुनाई दी बाद में पता चला कि विमान का एक प्रोपेलर टूट कर नीचे गिर गया था। जैसे ही विमान नीचे गिरा उसके अगले और  पिछले  हिस्से में आग लग गई थी।
 क्या बताया भला :--
बोस भुंडी ढालां जलग्या  था फेर कति कराहया कोन्या रै।।
 सैगोन तैं आगै जाण नै बोस नै विमान थ्याया कोन्या रै।।
1
बम्बवर्षक विमान जापानी मैं जगहां मिल पाई
हवाई अड्डे पै छोड़ण आये जयहिंद तैं ली विदाई
तेजी तैं चढ़या विमान पै पाछे नै लखाया कोण्या रै।।
 सैगोन तैं आगै जाण नै बोस नै विमान थ्याया कोन्या रै।।
2
कर्नल हबीबुर्रहमान भी पीछै पीछै चढ़े विमान मैं
पायलेट के ठीक पाछै सुभाष बोस बैठे विमान मैं
दोनों जमीन पै बैठे कोएसा घबराया कोण्या रै।।
 सैगोन तैं आगै जाण नै बोस नै विमान थ्याया कोन्या रै।।
3
आस पास साहमी पैट्रोल के जरीकेन धरे थे भाई
बिना सीट बैठे दोनूं फेर भी जमा ना डरे
थे भाई
धमाका हुया जोरका किसे कै समझ आया कोण्या रै।।
 सैगोन तैं आगै जाण नै बोस नै विमान थ्याया कोन्या रै।।
4
रहमान नै देख्या बोस के कपडयां मैं आग लागरी
बुशर्ट काढया हाँगा लाकै रणबीर सांस तेज भागरी
बोस बोल्या बचूं नहीं हबीब आंसू रोक पाया कोण्या रै।।
 सैगोन तैं आगै जाण नै बोस नै विमान थ्याया कोन्या रै।।




सुभाष बोस देखले आकै

देश मैं किसी आजादी आई, गरीबां कै और गरीबी छाई
अमीरां नै घणी लूट मचाई, सुभाष बोस देखले आकै ।।
1.
भगत सिंह नै दी कुर्बानी, जनता नै खपाई जवानी
हैरानी हुई थी गोरयां नै, कमर कसी छोरी छोर्यां नै
 देश बांट दिया सोहरयां नै, सुभाष बोस देखले आकै ।।
2.
ये गोरे गये तो आगे काले, हमनै नहीं ये कदे सम्भाले
चाले कर दिये बेइमानां नै, भूल गय हम इन्सानां नै
इन देशी हुकमरानां नै, सुभाष बोस देखले आकै ।।
3.
बोवणियां की धरती होगी, सब जात्यां की भरती होगी
सरती होगी नहीं बिरान, खुश होज्यांगे मजदूर किसान
आजादी करै यो ऐलान, सुभाष बोस देखले आकै ।।

4.
मुनाफाखोर देश पै छाये, पीस्से पै सब लोग नवाये
लगाये भा इस बाजार मैं, ईमान बिकै कुछ हजार मैं
धंसते जावां हम गार मैं, सुभाष बोस देखले आकै ।।
5.
मकान सैं परिवार नहीं, माणस सैं घरबार नहीं
सरकार नहीं सुनती या, जाल कसूता बुनती या
गरीब नै रणबीर धुनती या, सुभाष बोस देखले आकै ।।



 सुभाष चंद्र बोस के 23 जनवरी के जन्मदिन के मौके पर एक रागनी

आजाद देश में जन्म लिया कारण सै थारी कुर्बानी ।।
दिमाग में घूमें जावै म्हारै थारी खास टोपी की निशानी ।।
विदेश गए पढ़ने खातिर आई सी एस पास करी
उड़े देख नजारे आजादी के आकै डिग्री पाड़ धरी
भारत की आजादी खातर लादी  थामनै पूरी जिंदगानी ।।
दिमाग में घूमें जावै म्हारै थारी खास टोपी की निशानी ।।
आजाद देश में जन्म लिया कारण सै थारी कुर्बानी
 कांग्रेस मैं रहकै नै चाही लड़नी थामनै लड़ाई दखे
थारे विचार क्रांतिकारी थे  उड़े ना पार बरसाई दखे
बोले थाम  खून दयो  मैं दिलाऊं तुमने आजादी हिंदुस्तानी ।।
दिमाग में घूमें जावै म्हारै थारी खास टोपी की निशानी ।।
सिंगापुर में जाकै थमने आजाद हिंद फौज बनाई
हिटलर तैं पड़े हाथ मिलाने चाहे था वो घणा अन्यायी 
लक्ष्मी सहगल साथ थारै अरसैं गेल्याँ महिला  बेउनमानी ।।
दिमाग में घूमें जावै म्हारै थारी खास टोपी की निशानी ।।
हवाई जहाज में चले थे कहैं उड़े हादसा होग्या दखे
 यकीन नहीं आया आज ताहिं शक के बीज बोग्या दखे
 के लिख सकै थारे बारे मैं यो रणबीर सिंह अज्ञानी ।।
दिमाग में घूमें जावै म्हारै थारी खास टोपी की निशानी



एक बार सुभाष बोस और लक्ष्मी सहगल के बीच बातचीत
होती है कि आजादी के बाद हिन्दुस्तान का क्या नक्शा होगा ?
कैसा हिंदुस्तान हम बनाना चाहते हैं तो सुभाष बोसे कुछ देर
सोचते हैं और अपने सपनों के भारत के बारे में बताते हैं |
क्या बताया भला

लालच लूट खसोट बचै नहीं ईसा  हिन्दुस्तान बसावांगे।
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।
1
नई तरां का इन्सान उभरै नई तरां के म्हारे समाज मैं
नई बात और बोल नये कहं जां नये सुर और साज मैं
बीमारी हो ही नहीं पावै विज्ञान नै लोक हित मैं लावांगे।।
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।
2
दोगली शिक्षा का खात्मा हो ज्ञान पिटारा यो इन्सान होज्या
नाड़ काट मुकाबला रहै ना एक दूजे का सम्मान होज्या
भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै इका नामो निशान मिटावांगे।।
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।
3
मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै
लाठी की भैंस नहीं रहै ना हथियारां का फेर सम्मान बचै
प्रदूषण बढ़ता जा धरती शमशान होण तै बचावांगे।।
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।
4
महिला नै इन्सान समझां रीत खत्म हो दोयम दरजे की
नौजवानां नै मिलै सही रास्ता ना मार बचै इस करजे की
जातपात खत्म हो सारे कै इन्सान बणां बिगुल बजावांगे।।
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।


मिशाल बनाई

सुभाष चन्द्र बोस तनै दुनिया मैं कई मिशाल बनाई

उन बख्तों मैं भी हांगा लाकै तनै आई सी एस करी पढ़ाई

कांग्रेस मैं रह कै तनै देश आजाद करवाना चाहया था

नरम दल तैं  मतभेद थारे थे ज्याँ गरम दल बनाया था

त्याग कै डिग्री अपनी तनै फेर अंग्रेजों की भ्यां बुलवाई ||
अंग्रेज फूट गेरो राज करो की निति कसूत अपनारे थे

म्हारे बालक करकै भरती हम पै हथियार चलवारे थे

इनको ताहने खातर थामनै फेर आजाद फ़ौज बनाई ||

भेष बदल कै भारत छोड्या जा पहोंचे फेर जापान मैं

सपना था थारा अक यो आवै स्वराज प्यारे हिंदुस्तान मैं

महिलाओं की पलटन न्यारी थामनै खडी करकै दिखाई ||

सारा हिंदुस्तान याद करै तेरी क़ुरबानी नहीं भुल्या देश

हुक्मरान तनै भूल गये गोरयां आगे करया खुल्या देश

रणबीर सिंह बरोने आला करै तेरी जयन्ती पै कविताई ||


पार्क मैदान में युवक कांग्रेस के अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कहा तो फिर क्या हमें बैलगाड़ी के बीते युग की ओर वापस जाना है? आत्मा के पाखण्ड को इतना पुष्ट किया जा रहा है कि भौतिक संस्कृति और फौजी प्रशिक्षण की उपेक्षा करके भी उन्हें लगता है सब ठीक चल रहा है। इस पावन भूमि के लिए मठ और आश्रम की कल्पना जोई नई नहीं है। सन्यासियों और सुपात्रों को इस माट्टी में सदैव आदर का स्थान प्राप्त होता रहा है और आगे भी होता रहेगा परन्तु मैं युवाओं को चेतावनी देता हूँ कि यदि एक आधुनिक , स्वतंत्र , सुखी और शक्ति -सम्पन्न भारत का निर्माण करना है , तो हमें इस मंडली का अनुशरण नहीं करना है। इसके लिए पुरातन प्रभाव से मुक्त होकर नवयुग का शंख फूंको।
क्या बताया भला कवि ने------
पार्क मैदान मैं सुभाष नै ये अपने विचार सुनाये रै।।
युवाओं को ललकारया उसनै क्रांति के नारे गूँजाये रै।।
1
बोस नै युवा संगठन का उड़ै मतलब समझाया था
निठल्ले बेजान युवाओं का यो संगठन नहीं बताया था
सामाजिक सेवासंघ भी कोण्या बोस नै पाठ पढ़ाया था
अंग्रेज राज का विरोधी धधकता अंगार सुझाया था
रूस चीन जर्मनी के किस्से उड़ै पूरे खोल कै बताये रै।।
युवाओं को ललकारया उसनै क्रांति के नारे गूँजाये रै।।
2
बोल्या अंग्रेजों नै चौतरफा करदी घेरेबंदी म्हारी वीरो
इम्पीरियल बैंक नै देश की करदी नाके बंदी भारी वीरो
कर्ज देने की करी मनाही जनता घणी दुख पारी वीरो
अंग्रेजों तैं छुटकारा पाल्यो ये देगे देश मैं बुहारी वीरो
ठारा सौ सत्तावन मैं भी संघर्ष के बिगुल बजाये रै।।
युवाओं को ललकारया उसनै क्रांति के नारे गूँजाये रै।।
3
या आवाज बोस की उठी ऊंचे स्तर तलक बताई
साबरमती अर अरविंद के मतां पै सवाल उठाई
आधुनिक स्वतंत्र सुखी देश की या तीजी राह दिखाई
मठ आश्रम बीते समों की उनको सब बात समझाई
पुराने तैं मुक्त होवण नै नवयुग के शंख बजाये रै।।
4
युवकों के दिलो दिमाग मैं सुभाष पूरी तरियां छाग्या रै
भगत सिंह जतीनदास  इनका दस्ता मंच पै आग्या रै
दाढ़ी मूंछों आला नौजवान उड़ै पूरे पण्डाल नै भाग्या रै
सिर्फ अहिंसा के राह पै वो भगत सिंह सवाल ठाग्या रै
कहै रणबीर बरोणे आला सुण कै सुभाष मुस्कुराये रै।।
युवाओं को ललकारया उसनै क्रांति के नारे गूँजाये रै।।



किस्सा सुभाष चंद्र बोस
गहन आलोचना कर शर्तों की जर्मनी नै स्वीकार करी।।
फौज संगठित करने नै मुकमल सी एक प्लान धरी।।
1
जापान नै विश्व युद्ध मैं कूद कै पूरी करी हिस्सेदारी रै
पर्ल हार्बर ध्वस्त किया और आगै सेना बढ़ती जारी रै
पूर्वी एशिया कब्जाकै करी मित्र देशां की घाव हरी।।
फौज संगठित करने नै मुकमल सी एक प्लान धरी।।
2
ब्रिटिश इंडियन आर्मी फेर जापान नै बन्दी बनाई रै
सिंगापुर मैं सेना भारत की जापान के काबू आई रै
आस भारत की सेना की दीखी एकबर तो कति मरी।।
फौज संगठित करने नै मुकमल सी एक प्लान धरी।।
3
प्रीतम सिंह बुजुर्ग नै मोहन सिंह का ढाढ़स बंधाया
हताश क्यों होरे थाम भाई खुशबरी एक मैं ल्याया
आईएनए मै मुक्ति पाओ बन्दियाँ कै ना बात जरी।।
फौज संगठित करने नै मुकमल सी एक प्लान धरी।।
4
मान गये बन्दी बात उसकी आजाद हिंद फौज बनाई
मोहन सिंह रास बिहारी बोस करी फौज की अगवाई
रणबीर सिंह टोकियो मैं फेर आजादी की हुंकार भरी।।
फौज संगठित करने नै मुकमल सी एक प्लान धरी।।


बाड़ खेत नै खावै आज सुभाष बोस थारे सपने सब धराशायी कर दिए

समाज के ठेकेदारों नेक्या बताया भला ---
सोने का दिया रांग बना यो मोट्टा चाला होग्या ||
पतासे की खांड बनादी यो गुड़ का राल्ला होग्या||
1
आज पीतल कै ऊपर सोने का घोल चढ़ावें सें
साच का गल घोट कै झूठ का ढोल बजावें सें
ठग चोर घने शरीफ बनें रपट रोल मचावें सें
कैह अमृत का प्याला जहर का मोल बढ़ावें सें
चारों कूट बदमाशी फ़ैली मरण का ढाला होग्या ||
पतासे की खांड बनादी यो गुड़ का राल्ला होग्या||
2
सच्चाई छोड़ कै क्यूं झूठ तै नाता जोड़ लिया
मेहनत करने आले का जमा खून निचौड़ लिया
देश बेच दिया सारा कमीशन कई करोड़ लिया
पीस्सा आज भगवान होग्या घरबार तोड़ दिया
औरत बीच बाजार बिठादी यो ढंग कुढाला होग्या ||
पतासे की खांड बनादी यो गुड़ का राल्ला होग्या||
3
ये दिन देखण नै के गाँधी जी नै गोली खाई थी
ये दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी परनायी थी
ये दिन देखण नै के रानी झाँसी नै लड़ी लडाई थी
ये दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फ़ौज बनाई थी
इसी आजादी आई सै यो ज्यान का गाला होग्या ||
पतासे की खांड बनादी यो गुड़ का राल्ला होग्या||
4
कट्टर पंथ का जहर फैलाया बाग़ बगीचे सूक गये
भाई का बैरी भाई आज हुया कडे पुराने रसूख गये
इब्बी साच्ची बात जानलयां कौन बधा या भूख गये
लिखी रणबीर बात असली खुस क्यूं म्हारे टूक गये
हमपे जाल यो गेर दिया बैरी महरा रूखाला होग्या ||