शहीद फौजी किसान कवि और गायक मेहर सिंह
फौजी
मेहरसिंह गांव बरोने का रहने वाला
था।फौजी मेहरसिंह किसान परिवार में बरोना गांव में पैदा हुआ। इस इलाके के मषहूर गावों में से एक गांव है बरोना। जिन्दगी की सच्चाईयों से उसका रोजाना सामना होता था। वह मेहनती था। गरीब परिवार से था। गाता बहुत अच्छा था।उसकी लिखी हुई बातें तो सब सुनते
हैं मगर उसकी जिन्दगी के बारे में
लोगों को बहुत कम
पता है। उसमें देशप्रेम बहुत गहरा था यह बात
बहुत कम लोगों की
जानकारी में है। मेहर सिंह ही उस दौर
का ऐसा व्यक्तित्व है जो किसान
है,कवि है और फौजी
भी है। जो उस दौर
में छुआछूत के खिलाफ भी
संवेदनशील है|
फौजी मेहरसिंह को गाणे बजाणे का बड़ा शौक था। रात को गाता तो बहुत से लोग सुनने आ बैठते। मेहरसिंह को हुक्का बिगाड़ कहा जाता था मतलब वह हर जात का हुक्का पी लेता था। मेहर सिंह का पिता आर्य समाजी था। उसे मेहरसिंह का गाना बजाना पसन्द नहीं था। कई बार मना किया और एक दिन तो पिता ने गुस्से में भरकर सांटा उठा लिया उसकी पिटाई करने के लिए। भले ही आर्य समाज इस इलाके में देर से आया मगर इसका प्रभाव यहां के सामाजिक सांस्कृतिक जीवन पर पड़ा। आर्य समाज ने षिक्षा के प्रसार का काम किया और महिला षिक्षा पर भी काफी जोर दिया। मगर कोएजुकेषन का विरोध किया। इसी प्रकार सांगों का भी विरोध हुआ।
करुं
बिनती हाथ जोड़ कै मतना फौज
मैं जावै।।
मुश्किल तैं मैं भरती होया तूं मतना रोक लगावै।।-----------
कहतें
हैं मुसीबतें तन्हाा नहीं आती। 1936 .37 में इस सारे क्ष्ेत्र
में गन्ने की सारी फसल
पायरिला की बीमारी ने
बरबाद कर दी- गन्ने
से गुड़ नहीं बना और राला एक
से दो रुपये मन
के हिसाब से बेचना पड़ा।
इस प्रकार जमींदार बरबाद हो गये। इसी
बीमारी के डर से
अगले साल गन्ना बहुल कम बोया। इसी
समय भयंकर अकाल भी पड़े थे
इस इलाके में। प्रथम महायुद्ध में इस क्षेत्र से
काफी लोग फौज में गये थे। इसके बाद सन् 35 के आस पास
मेहर सिंह पर भी घर
के हालात को देखते फौज
में भरती होने का दबाव बना।
सही सही साल तो नहीं बता
पाये लोग मगर 35-37 के बीच ही
मेहर सिंह फौज में भरती होता है। मेहरसिंह जब फौज में
जाने लगता है तो प्रेम
कौर रोने लगती है। मेहरसिंह का दिल भर
आता है। वह अपने मन
को काबू में करके प्रेम कौर को समझाता है।
क्या बताया भला:
रौवे
मतना प्रेम कौर मैं छुट्टी तावल करकै आ ल्यूंगा।।
थोड़े दिन की बात से
प्यारी फौज मैं तनै बुला ल्यूंगा।।--------
मेहर सिंह फौज में चला गया। माहौल पूरी दुनिया में संकट का दौर था। दूसरे महायुद्ध के बादल मुडरा रहे थे। इधर मेहर सिंह की लिखी रागनियां लोगों बीच जाने लगी थी। मेहरसिंह की बनाई रागनी प्रेम कौर सुनती है।
मेहर सिंह को दूसरे फौजियों से अकाल के बारे में पता लगता है। बताते हैं कि किसानों की हालत बहुत कमजोर हो चली थी। खाने के लाले पड़ने लगे थे। खुद भी वह गाँव के हालत से प्रभावित था | वह ये बातें सोचता है और किसान पर कई रागनी बनाता है।
मेहरसिंह
को फौज में बहुत सी बातों का
पता लगता है। कहते हैं देश को आजाद करवाने
के लिए फौज में एक खुफिया संगठन
था। मेजर जयपाल इसका नेता था। इसी संगठन का एक फौजी
असलम मेेहरसिंह से मिलता है।
गांव में भी मुस्लिम परिवारों
से मेहरसिंह की दोस्ती थी।
बहुत सी बातें होती
हैं। मेहसिंह उसके कहने पर किसानों पर
एक रागनी बनाता है। क्या कहता है भला:
एक
बख्त इसा आवैगा ईब किसान तेरे
पै।
राहू केतू बणकै चढ़ज्यां ये धनवान तेरे
पै।।-----------
तीजों का त्यौहार आ जाता है। छुट्टी मिली नहीं। जनमानस में यह हरियाली तीज के नाम से जानी जाती है। यह मुख्यत: स्त्रियों का त्योहार है। इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। जगह.जगह झूले पड़ते हैं। स्त्रियों के समूह गीत गा.गाकर झूला झूलते हैं। मेरे ख्याल में मेहरसिंह को रात को सपना आता है और देखता है कि प्रेम कौर तीज झूलने जा रही है। क्या देखता है भला:
लाल
चूंदड़ी दामण काला, झूला झूलण चाल पड़ी।
कूद मारकै चढ़ी पींग पै देखै सहेली
साथ खड़ी।।---------
मेहर
सिंह को अपनी मां
से बड़ा प्यार था। बचपन में बड़ी लोरी सुणाया करती थी। एक दिन फौजी
सिंघापुर के बाजार में
जा रहा था ।
कुछ महिलाएं अपने बच्चों के साथ बाजार
में दिखाई देती हैं फौजी मेहर सिंह को अपनी मां
की याद आ जाती है।
तो मां के बारे में
सोचने लगता है। तेरी
छाती का पिया हुआ ना
मनै दूध लजाया री।लोरी दे दे कही
बात तनै केहरी शेर बणाया री।
सिंघापुर मैं भारत की फौज घिर जाती है। चारों तरफ के रास्ते बन्द हो जाते हैं। मेहरसिंह लोगों का हौंसला बंधाता है। कहते हैं कि मेहर सिंह ने रागनी गा कर फौजियों की होंसला अफजाई की थी|
देश पर कुर्बान होते हुए मेहरसिंह के दिल में शायद यही सन्देश था हमारे लिए:
लियो
मेहर सिंह का सलाम
छोड़ चले हम देश साथियो
तुम लियो मिलकै थाम----------
रणबीर सिंह दहिया