पन्दरा अगस्त
पन्दरा अगस्त सैंतालिस का
दिन लाखां जान
खपा कै आया।
घणे हुये कुर्बान
देस पै जिब
आजादी का राह
पाया।।
सैंतालिस
की आजादी र्इब
दो हजार आ
लिया
बस का भाड़ा
याद करो यो
कड़ै सी जा
लिया
सीमैंट का कटटा
कितने का आज
कौणसे भा लिया
एक गिहूं बोरी देकै
सीमैंट हमनै कितना
पा लिया
चिन्ता नै घेर
लिये जिब लेखा-जोखा आज
लगाया।।
आबादी बèाी
दोगणी पर नाज
चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी
जो हालत उसमैं
बताओ के जोड़
èारया
बिना पढ़ार्इ दवार्इ खजाना
सरकारी हमनै रोज
भरया
र्इमानदारी
की करी कमार्इ
फेर बी मनै
कड़ सरया
भ्रष्टाचार
बेइमानी नै क्यों
सतरंगा जाल बिछाया।।
यो दिन देखण
नै के भगत
सिंह नै फांसी
पार्इ थी
यो दिन देखण
नै के सुभाष
बोस नै फौज
बनार्इ थी
यो दिन देखण
नै के गांèाी बापू
नै गोली खार्इ
थी
यो दिन देखण
नै के अम्बेडकर
ने संविèाान
बनार्इ थी
नये-नये घोटाले
सुणकै यो मेरा
सिर चकराया।।
गणतंत्र
दिवस पै कसम
उठावां नया हरियाणा
बणावांगे
भगत सिंह का
सपना अèाूरा
उसनै पूरा कर
दिखावांगे
ना हो लूट
खसोट देस मैं
घर-घर अलख
जगावांगे
या दुनिया घणी सुन्दर
होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै
सोचां गया बख्त
किसकै थ्याया।।
2.तर्ज
: फूल तुम्हें भेजा
है खत में
मैम्बर पंचायत चुनी गर्इ
खुशी गात मैं
छार्इ थी।
ज्ञान विज्ञान आल्यां नै
किमै ज्ञान की
बात बतार्इ थी।।
सबतै पहलम हुआ
सामना सुनियो देवर
मेरे तैं
न्यों बोल्या बैठकां मैं
नहीं जाणा बात
बता दी तेरे
तैं
भार्इ तै मैं
बतला ल्यूंगा इशारे
से मैं èामकार्इ
थी।।
चाही लोगां तै बात
करी घूंघट बीच
मैं यो आण
मरया
घूंघट खोलण की
बाबत यो देवर
नै घर ताण
गिरया
पति मेरे नै
साथ दिया पर
कोण्या पार बसार्इ
थी।।
मिहने मैं एक
मीटिंग हो इसा
पंचायती कानून बताया
मैम्बर सरपंच करैं फैंसला
जा फेर लागू
करवाया
बिना मीटिंग फैंसले ले
कै पंचायत पढ़ण
बिठार्इ थी।।
क्यूकर वार्ड का भला
करूं तिरूं डूबूं
जी मेरा होग्या
सरपंच के चौगरदें
बदमाशां का यो
पूरा ए घेरा
होग्या
घर आला बोल्या
चाल सम्भल कै
मैं न्यों समझार्इ
थी।।
न्यारी-न्यारी सारे कै
हम क्यों होकै
लाचार खड़ी बेबे
यो हमला घणा
भारया सै बिना
हथियार खड़ी बेबे
मजबूत संगठन बणावां रणबीर
नै करी लिखार्इ
थी।
-3-
माणस का धरम
/k रम
के सै माणस
का मनै कोण
बताइयो नै।
माणस मारो लिख्या
कड़ै मनै कोए
दिखादयो नै।।
माणस तै मत
प्यार करो कौणसा रम
सिखावै
सरेआम बलात्कार करो कौणसा
/kरम सिखावै
तम दारू का
ब्यौपार करो कौणसा
/kरम सिखावै
रोजाना नर संहार
करो कौणसा èारम
सिखावै
èारम क्यों खून के
प्यासे मनै कोण
समझादयो नै।।
र्इसा राम और
अल्लाह जिब एक
बताये सारे रै
इनके चाहवण आले बन्दे
क्यूं खार कसूती
खारे रै
क्यों एक दूजे
नै मारण नै
एके जी हाथां
ठारे रै
अमीर देस हथियार
बेच कै खूबै
मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो
काटो लिखै वो
ग्रंथ भुलादयो।।
मानवता का तत
कहैं सब èारमां
की जड़ मैं
सै
प्रेम कुदरत का सारा
सब èारमां की
लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का
रिस्ता माणस की
èाड़ मैं सै
कटटरवाद
नै घेर लिया
यो èारम जकड़
मैं सै
लोगां तै अरदास
मेरी क्यूकरै इनै
छटवादयो नै।।
यो जहर तत्ववाद
का सब èारमां
मैं फैला दिया
कटटरवाद
घोल प्याली मैं
सब तांहि पिला
दिया
स्कीम बणा दंगे
करे इन्सान खड़या
जला दिया
बड़ मानवता का आज
सब èार्मां नै
हिला दिया
रणबीर रोवै खड़या
इनै चुप करवादयो
नै।।
-4-
आपा ...धापी
आपा èाापी माच
रही चारों कूट
रोल्या पड़ग्या।
एक दूजे का
गल काटैं नाज
गोदामां मैं सड़ग्या
म्हारे घर बणे
तबेले रही माणस
की खोड़ नहीं
सोच तै परहेज
करैं बात का
टोहते औड़ नहीं
झूठ पै चालै
पूरी दुनियां साच
का जुलूस लिकड़ग्या।।
मेहनत करी लोगां
नै विज्ञान नै
राह दिखाया
या दुनिया बदल दर्इ
घणा खून पसीना
बाहया
लालची नै डाण्डी
मारी गरीब कै
साहमी अड़ग्या।।
न्याय की बात
भूलगे नहीं ठीक
करया बंटवारा
पांच सितारा होटल दूजे
कान्ही फूटया ढारा
गरीब की कमार्इ
का मुनाफा अमीर
कै बड़ग्या।।
टीवी पै सपने
हमनै आज बूख
दिखाये जावैं
रणबीर तै लालच
दे कै उल्टे
प्रचार कराये जावैं
सच्चार्इ
नै भूल गए
भोग मैं माणस
बड़ग्या।।
-5-
ज्ञान विज्ञान का पैगाम
सुखी जीवन हो
म्यारा ज्ञान विज्ञान का
पैगाम सुणो।
हरियाणे
के सब नर-नारी चूच्ची
बच्चा तमाम सुणो।।
सारे पढ़े लिखे
होज्यां नहीं अनपढ़
टोहया पावै फेर
खाण पीण की
मौज होज्या ना
भूख का भूत
सतावै फेर
बीर मरद का
हक बरोबर हो
इसा रिवाज आवै
फेर
यो टोटा गरीब
की चौखट पै
भूल कै बी
ना जावै फेर
सोच समझ कै
चालांगे तो मुशिकल
ना सै काम
सुणो।।
मिलकै नै सब
करां मुकाबला हारी
और बीमारी का
बरोबर के हक
होज्यां तै ना
मान घटै फेर
नारी का
भार्इचारा
फेर बढ़ैगा नहीं
डर रहै चोरी
जारी का
सुख कै सांस
मैं साझा होगा
इस जनता सारी
का
भ्रष्टाचार
की पूरी तरियां
कसी जावै लगाम
सुणो।।
आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा
मैं न्यारी फेर
दांतां बिचालै आंगली देकै
देखै दुनिया सारी
फेर
गाम स्तर पै
बणी योजना लागू
होज्या म्हारी फेर
गाम साझली èान दौलत
सबनै होज्या प्यारी
फेर
सुख का सांस
इसा आवैगा नां
बाजै फेर जाम
सुणो।।
कोए अनहोनी बात नहीं
ये सारी बात
सैं होवण की
बैठे होल्यां लोग लुगार्इ
घड़ी नहीं सै
सोवण की
इब लड़ां ना आपस
मैं या ताकत
ना खोवण की
बीज संघर्ष का बोवां
समों सही सै
बोवण की
कहै रणबीर गूंजैगा चारों
कूठ यो नाम
सुणो|
-6-
वैज्ञानिक
नजर
वैज्ञानिक
नजर के दम
पै जिन्दगी नै
सुमार लिये।
जीवन दृषिट सही बणाकै
बदल पुराने विचार
लिये।।
सादा रैहणा उंचे विचार
साथ मैं पौषिटक
खाणा यो
मानवता की èाूम
मैच चाहिये इसा
संसार बसाणा यो
सुरग की आड़ै
नरक की आड़ै
ना कितै और
ठिकाणा यो
पड़ौसी की सदा
मदद करां दुख
सुख मैं हाथ
बंटाणा यो
èारती सूरज चौगरदें
घूमै ब्रूनो नै
प्रचार किये।।
साच बोलणा चाहिये पड़ै
चाहे थोड़ा दुख
बी ठाणा रै
नियम जाण कुदरत
के इसतै चाहिये
मेल बिठाणा रै
हाथ और दिमाग
तै कामल्यां चाहिये
दिल समझाणा रै
गुण दोष तै
परखां सबनै अपणा
हो चाहे बिराणा
रै
जांच परख की
कसौटी पै चढ़ा
सभी संस्कार लिये।।
इन्सान मैं ताकत
भारी सै नहीं
चाहिये मोल घटाणा
सच्चार्इ
का साथ निभावां
पड़े चाहे दुख
बी ठाणा
लालची का ना
साथ देवां सबनै
चाहिये èामकाणा
मारकाट की जिन्दगी
तै र्इब चाहिये
पिंड छटवाणा
पदार्थ तै बनी
दुनिया इसनै चीजां
को आकार दिये।।
दुनिया बहोतै बढि़या इसनै
चाहते सुन्दर और
बणाणा
जंग नहीं होवै
दुनिया मैं चाहिये
इसा कदम उठाणा
ढाल-ढाल के
फूल खिलैं चाहिये
इनको आज बचाणा
न्यारे भेष और
बोली दुनिया मैं
न्यारा नाच और
गाणा
शक के घेरे
मैं साइंस नै
रणबीर सब डार
दिये।।
-7-
विवेक
सूरज साहमी कोहरा टिकै
ना अज्ञान विवेक
मयी वाणी कै।
अज्ञानता
छिन्न-भिन्न होण
लगै हो पैदा
चिन्तन न्या प्राणी
कै।।
ढोंग अर अन्èा विश्वास
पै टिक्या चिन्तन
फेर बचै कोण्या
यज्ञ हवन वेद
शास्त्र फेर पत्थर
पूजा प्रपंच रचै
कोण्या
पुरोहित
की मिथ्या बात
का दुनिया मैं
तहलका मचै कोण्या
मन्द बुद्धि लालची माणस
कै विवेकमय दया
पचै कोण्या
शिक्षित
अनपढ़ èानी निर्èान बीच
मैं आवैं फेर
कहाणी कै।।
आत्मा परमात्मा सब गौण
होज्यां सामाजिक दृषिट छाज्या
फेर
समानता एक आèाार बणै
औरत सम्मान पूरा
पाज्या फेर
मानवता पूरी निखर
कै आवै दुनिया
कै जीसा आज्या
फेर
कार्य कारणता नै समझकै
माणस कैसे गच्चा
खाज्या फेर
माणस माणस का
दुख समझै ना
गुलाम बणै राजाराणी
कै।।
संवेदनशील
समाज होवै र्इश्वर
केंद्र मैं रहवै
नहीं
मानव केनिद्रत संस्कृति हो
पराèाीनता कोए
सहवै नहीं
स्वतंत्रता
बढ़ै व्यकित की
परजीवी कोण कहवै
नहीं
खत्म हाें युद्ध
के हथियार माणस
आपस मैं फहवै
नहीं
विवेक न्याय करूणा समानता
खरोंच मारैं सोच
पुराणी कै।।
अदृश्य सत्ता का कोढ़
आड़ै फेर कति
ना टोहया पावै
सोच बिचार के तरीके
बदलैं जन चेतना
बढ़ती जावै
मनुष्य खुद का
सृष्टा बणै कुदरत
गैल मेल बिठावै
कर्म बिना बेकार
आदमी जो परजीवी
का जीवन बितावै
रणबीर बरोने आला ना
लावै हाथ चीज
बिराणी कै।।
-8-
म्हारी खोज म्हारी
सभ्यता
घड़ी बंèाी
जो हाथ पै
इटली मैं हुर्इ
खोज बतार्इ।।
भाप के इंजन
की खोज करी
इंग्लैंड नै ली
अंगड़ार्इ।।
खुर्दबीन
की खोज कदे
नीदरलैंड मैं हुर्इ
बतार्इ सै
बैरोमीटर
तै टारिसैली नै
मौसमी खबर सुणार्इ
सै
गुबारा सतरा सौ
तिरासी मैं यो
हमनै दिया दिखार्इ
सै
टेलीग्राफ
की खोज नै
फेर फ्रांस की
श्यान बढ़ार्इ सै
गैस लाइट के
आणे तै जग
मैं हुर्इ घणी
रूसनार्इ।।
इटली के पी
टैरी नै टाइप
राइटर फेर बणाया
रै
हम्फ्री
डेवी नै लैंप
सेफटी बणा माडल
दिखलाया रै
माचिस की खोज
नै ठारा सौ
छब्बीस याद कराया
रै
साइकिल के बणाणे
आला मैकलिन नाम
बताया रै
ठारा सौ तितालिस
सन मैं फैक्स
मशीन बणार्इ।।
ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या
करे नये-नये
आविष्कार
अमरीका नै लिफट
खोजी मंजिलां की
फेर लागी लार
ठारा सौ बावण
मैं वायुयान नै
फ्रांस मैं भरी
उडार
टेलबेट नै फोटो
खींचण की विèाि कर
दी तैयार
वैज्ञानिक
सोच के दम
पै नर्इ-नर्इ
तरकीब सिखार्इ।।
थामसन नै वैलिडंग
मशीन अमरीका मैं
त्यार किया
एडीसन नै बलब
बिजली जगमगा पूरा
संसार दिया
मोटर साइकिल डैमलर नै
सड़कां पै फेर
उतार दिया
उन्नीस सौ बावण
मैं हाइड्रोजन बम
बी सिंगार लिया
रणबीर आगे की
फेर कदे बैठ
करैगा कवितार्इ।।
-9-
वैज्ञानिक
दृषिट
वैज्ञानिक
दृषिट बिन सृषिट
नहीं समझ मैं
आवै।
कुदरत के नियम
जाण कै समाज
आगै बढ़ पावै।।
किसनै सै संसार
बणाया किसनै रच्या
समाज यो
म्हारा भाग कहैं
माड़ा बांèौं
कामचोर कै ताज
यो
सरमायेदार
क्यों लूट रहया
सै मेहनतकशी की
लाज यो
क्यों ना समझां
बात मोटी कूण
म्हारा भूत बणावै।।
कौण पहाड़ तोड़ कै
करता èारती समतल
मैदान ये
हल चला खेती
उपजावै उसे का
नाम किसान ये
कौण èारा चीर
कै खोदै चांदी
सोने की खान
ये
ओहे क्यों कंगला घूम
रहया चोर बण्या
èानवान ये
करमां के फल
मिलै सबनै क्यों
कैहकै बहकावै।।
हम उठां अक
अनपढ़ता का मिटा
सकां अन्èाकार
यो
हम उठां अक
जोर जुलम का
मिटा सकां संसार
यो
हम उठां अक
उंच नीच का
मिटा सकां व्यवहार
यो
जात पात और
भाग भरोसे कोण्या
पार बसावै।।
झूठयां पै ना
यकीन करां म्हारी
ताकत सै भरपूर
म्हारी छाती तै
टकरा कै गोली
होज्या चकनाचूर
जागते रहियो मत सोइयो
म्हारी मंजिल ना सै
दूर
सिरजन होरे हाथ
म्हारे सैं घणे
अजब रणसूर
नया समाज सुèाार का
रणबीर रास्ता बतावै।।
-10-
ब्रह्रााण्ड
महारा
इस ब्रह्रााण्ड का बेरा
ना सोच-सोच
घबराउं मैं।
èारती चन्द्रमा सूरज ये
उसकी देण बताउं
मैं।।
वैज्ञानिक
दृषिट का पदार्थ
नै आèाार
बताते
नाश हो सकता
बदलै ना आकार
सुणाते
निर्जिव
तै जीव की
उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
हमेश रहै बदलता
क्यूकर या समझाउं
मैं।।
जिज्ञासा
और खोज तै
उपजै उसनै ग्यान
कहैं
क्रम बद्ध ग्यान
नै फेर दुनिया
मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा
नै मारै सै
जो उसको सारे
अग्यान कहैं
गुण दोष पै
जांचै परखै वैज्ञानिक
इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह
तै टकराकै बणै
नयी सोच दिखाउं
मैं।।
मत विश्वास करो क्योंकि
मां बाप नै
बताया सै
शिक्षक नै कैहदी
ज्यांतै आंख मूंद
अपणाया सै
परीक्षण
विश्लेषण पै जो
सर्वहित कारी पाया
सै
प्रयोग तै करैं
दोबारा वो सिद्धांत
आगै आया सै
भाग्यवाद
पै कान èारै
ना उफंके èाोरै
जाउं मैं।।
वैज्ञानिक
दृषिट गुरू अपना
चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै
जो कदे ना
पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी
माणस बीज नर्इ
खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या
विवेक सारे अन्èाविश्वास नै खोज्या
रणबीर जोर लगाकै
बात खोज कै
ल्याउं मैं।।
-11-
बात पते की
मेरा संघर्श
गाम की नजरां
के म्हां कै
बस अडडे पै
आउं मैं।
कर्इ बै बस
की बाट मैं
लेट घणी हो
जाउं मैं।।
भीड़ चीर कै
बढ़णा सीख्या,करकै
हिम्म्त चढ़णा सीखा
लड़भिड़
कढ़णा सीख्या, झूठ
नहीं भकाउ मैं।।
बस मैं के
के बणै मेरी
साथ,नहीं बता
सकती सब बात
भोले चेहरे करैं उत्पात,
मौके उपर èामकाउं
मैं।।
दफतर मैं जी
ला काम करूं,पलभर ना
आराम कंरू
किंह किहं का
नाम èारूं, नीच
घणे बताउं मैं।।
डर मेरा सारा
र्इब लिकड़ गया,दिल भी
सही होंसला पकड़
गया,
जै रणबीर अकड़ गया,
तो सबक सिखाउं
मैं।।
-12-
षोशण हमारा
बदेशी कम्पनी आगी, हमनै
चूट-चूट कै
खागी
अमीर हुए घणे
अमीर, यो मेरा
अनुमान सै।।
हमनै पूरे दरवाजे
खोल दिये,बदेशियां
नै हमले बोल
दिये
ये टाटा बिड़ला
साथ मैं रलगे,
उनकै घी के
दीवे बलगे
बिगड़ी म्हारी तसबीर, या
संकट मैं ज्यान
सै।।
पहली चोट मारी
रूजगार कै, हवालै
कर दिये सां
बाजार कै
गुजरात मैं आग
लवार्इ क्यों, मासूम जनता
या जलार्इ क्यों
गर्इ कड़ै तेरी
जमीन, घणा मच्या
घमसान सै।।
या म्हारी खेती बरबाद
करदी, èारती सीलिंग
तै आजाद करदी
किसे नै भी
ख्याल ना दवार्इ
का, भटठा बिठा
दिया पढ़ार्इ का
घाली गुरबत की जंजीर,
या महिला परेशान
सै।।
या सल्फाश की गोली
सत्यानासी, हर दूजे
घर मैं ल्यादे
उदासी
आठ सौ बीस
छोरी छोरा हजार
यो, बढ़या हरियाणे
मैं अत्याचार यो
लिखै साची सै
रणबीर, नहीं झूठा
बखान सै।।
-13-
लड़की को नसीहत
सीèाा जाणा
सीèाा आणा
तड़कै सांझ मां
मनै समझावै।
गली गोरे मैं
मत हांसिये बिठाकै
रोजाना èामकावै।।
मां मेरी मनै
घणा चाहवै मेरी
घणी करै सम्भाल
दखे
जो सीख्या उसनै मां
पै सिखाया चाहवै
तत्काल दखे
अपणे बरगी गउ
काली मनै आज
बनाया चाहवै।।
इसमैं कसूर नहीं
उसका उसने दुख
ठाया सै भारया
मास्टरनी
होकै बी उसनै
नहीं कदे घुंघट
तारया
कहै यो सै
इज्जत म्हारी जिनै
तारया उनै बिसरावै।।
बोली बीर की
जात नीची या
मर्द जात उंची
हो सै
जो बीर करती
मुकाबला उसका लाजमी
खोह सै
सारे गाम मैं
बीर इसी मुुंह
ठड की उपाèाि पावै।।
बोली भूल कै
बी करिये मतना
बराबरी तूं भार्इ
की
रोटी चटणी खाणा
सीख मत देखै
बाट मलार्इ की
मेरा भला चाहवै
अक बुरा सोच
कै बुद्धि चकरावै।।
-14-
बेर्इमान
का छल
बेइमान डूब कै
मरज्या काम करया
बड़े छल का।
घणी सफार्इ तारै मतना
भरया पड़या तूं
मल का।।
जला गुजरात èार्म उपर
पाछे घणा खिसकाया
सै
मोदी तूं इन्सान
कसूता कितना अन्èोर मचाया
सै
सोच समझ कै
जलाया सै यो
काम बजरंग दल
का।।
योजना बना दंगे
कराये मेरै सुणकै
आया पसीना
मुसलमानां
कै के जी
कोण्या शरद समझ
लिया सीना
कैम्पा मैं पडरया
जीना उड़ै बी
बेरा ना कल
का।।
कीेड़े पड़कै मरियो मोदी
मेरी आत्मा गवाही
देरी
भारत के मां
गुजरात तै लीख
फासीज्म की गेरी
झूठी बात नहीं
मेरी अटल झाड़
बनै तेरे गल
का।।
रणबीर कदे किसे
बस्ती मैं आग
राम नै लगार्इ
हो
खुदा नै हिन्दुआं
की कदे सींख
ला बस्ती जलार्इ
हो
दंग्या तै कदे
हुर्इ भलार्इ हो
जहर बना दिया
जल का।।
-15-
नाम कमाया हे
यो घूंघट तार बगाया
हे, खेता मैं
खूब कमाया हे
खेलां मैं नाम
कमाया हे, हम
आगै बढ़ती जारी
बेबे।।
लिबास पुर रोहनात
गाम मैं बहादरी
खूब दिखार्इ बेबे
अंग्रेजां
तै जीन्द की
रानी नै गजब
करी लड़ार्इ बेबे
हमको दबाना चाहता हे,
नहीं रस्ता सही
दिखाया हे
गया उल्टा सबक सिखाया
हे, म्हारी खूबै
अक्कल मारी बेबे।।
डांगर ढोर की
सम्भाल करी èाार
काढ़ कै ल्यार्इ
बेबे
खूब बोल सहे
हमनै स्कूलां मैं
करी पढ़ार्इ बेबे
सब कुछ दा
पै लाया देखो,
सबनै खवा कै
खाया देखो
ना गम चेहरे
पै आया देखो,
कदे हारी कदे
बीमारी बेबे।।
नकल रोकती बहन सुशीला,
जमा नहीं घबरार्इ
सै
मरकै करी हिफाजत
असूलां की नर्इ
राह दिखार्इ सै
गन्दी राजनीति साहमी आर्इ,
औरतां पै श्यामत
ढार्इ
फेर बी सै
अलख जगार्इ, देकै
कुर्बानी भारी बेबे।।
लड़ती मरती पड़ती
हम मैदाने जंग
मैं डटती देखो
कायदे कानूनां तै आज
म्हारी सरकार हटती देखो
हर महिला मैं लहर
उठी, हर गली
और शहर उठी
सुबह शाम दोपहर
उठी, रणबीर की
कलम पुकारी बेबे।।
-16-
भारत मां
हमारो देश का
नारा जन-मन
से आज पुकार
हुर्इ
आप सिवैया बणे बिणा
कद नैया èाार
तै पार हुर्इ।।
आजाद हुये पर
आजादी का रस
ना घूटटण पाये
दबे पड़े सां
अंèाविश्वासां के
ना जाल तै
छूटटण पाये
आजाद देश मैं
हुया करैं वे
कोप्पल ना फूटटण
पाये
गरीबी आली रेखा
तैं आज तक
ना उपर उटठण
पाये
रक्षक हो गये
भक्षक बाड़ के
खेती आप आहार
हुर्इ।।
जय हिन्द जय हिन्द
खूब पुकारी ना
अर्थ इसका जाण्या
चढ़ी शिखर तै
èाजा आपणी चाहवैं
सै रोज गिराणा
बण देशद्रोही देश को
लूट कै चाहया
रोझै खाणा
फूट गेर कै
महाभारत हम हट
हट कै चाहवां
रचाणा
जात èार्म के
तीर चला दिये
रोज वतन की
हार हुर्इ।।
इस कुदरत नै èारा
गगन और सूर्य
का प्रकाश दिया
वायु के संग
पीवण का जल
मुफत मैं बाहरूं
मास दिया
देश की èारती
खान सै अन्न
की भूख नै
कैसे बास किया
हरी भरी हरियाली
थी क्यों प्रदूषण
नै विनाश किया
आपा èाापी छल
साजिश की कद
नीति साकार हुर्इ।।
जिस देश की
ना जनता जाग्गी वाह
उपर नहीं उभरणी
सोने की चिडि़या
कहया करैं थे
वाह चाहिये याद
सुमरणी
भरग्या समाज बुराइयां
तै याह चिन्ता
चाहिये करणी
दुर्दशा
देश की देख
देख कै म्हारे
चाहिये आंसू गिरणी
कहै नफे सिंह
कोए नब्ज देखियो
भारत मां बीमार
हुर्इ।।
-17-
सेहत दिवस
सेहत दिवस सात
अप्रैल का हम
हर साल मनावैं
रै।
ताजा खाणा पीणा
ताजी हवा तैं
सेहत बणावै रै।।
कुदरत साथ संघर्ष
म्हारा बहोत पुराणा
कहते रै
यो तनाव जब
घणा होवै कहैं
बीमार घणे रहते
रै
बिना कुदरत नै समझैं
माणस दुख हजारां
सहते रै
इसतै मेल मिलाप
होज्या तै सुख
के झरने बहते
रै
जिब दोहण करैं
कुढ़ाला तो उड़ै
रोगै पैर जमावैं
रै।।
सिन्èाु घाटी
की जनता नै
सेहत के नियम
बनाये थे
चौड़ी गाल ढकी
नाली ये घर
हवादार चिनाये थे
पीवण खातर बणा
बावड़ी न्यारे जोहड़ खुदवाये
थे
जितनी समझ थी
उनकी रल मिल
पूरे जोर लगाये
थे
जिब पैदावार के ढंग
बदलैं बीमारी बी
पल्टा खावैं रै।।
माणस मैं लालच
बèाग्या, कुदरत
से खिलवाड़ किया
,बिना सोचें समझें कुदरत
का सन्तुलन बिगाड़
दिया
लालची नै बिना
काम करें बिठा
ऐश का जुगाड़
लिया
माणस माणस मैं
भेद होग्या रिवाज
न्यारा लिकाड़ लिया
समाज के अमीर
गरीब मैं क्यों
न्यारी बीमारी पावैं रै।।
साफ पाणी खाणा
और हवा रोक
सकैं अस्सी बीमारी
ना इनका सही
बंटवारा सै मनै
टोहली दुनिया सारी
जिस èाोरै ये
चीज थोड़ी सैं
उड़ै होवै बीमारी
भारी
होयां पाछै इलाज
सै म्हंगा न्यू
माणस की श्यामत
आरी
रणबीर सिंह नै
छन्द बनाया मिलकै
सारे गावैं रै।।
-18-
सांझी बिरासत
कोणार्क
और एजन्ता एलोरा
म्हारी खूबै श्यान
बढ़ावैं।
चार मीनार कुतुब ताज
महल ये च्यार
चांद लगावैं।।
दोनूं भारत की
विरासत इसतै कौण
आज नाट सकैं
साहमी पड़ी दीखै
सबनै कौण इस
बात नै काट
सकैं
जो पापी तोल
घाट सकैं म्हारी
संस्कृति कै बटटा
लावैं।।
कालिदास
बाणभटट रवीन्द्र नाथ नै
श्यान बढ़ार्इ सै
खुसरो गालिब फिराक हुये
सैं जिनकी कला
सवार्इ सै
न्यारे-न्यारे बांटै जो
इननै भारत के
गछार कुहावैं।।
जयदेव कुमार गंèार्व
भीम सेन जोशी
जसराज दिये
बड़े गुलाम अली मियां
बिसिमल्ला खान नै
कमाल किये
एक दूजे नै
जो नीचा कहते
वे घटियापन दिखावैं।।
सहगल हेमन्त मन्ना और
लता गायकी मैं
छागे ये
रफी नूर जहां
नौशाद साथ मैं
सब जनता नै
भागे ये
रणबीर बरोने आले कान्ही
ये हिन्दु मुसिलम
लखावैं।।
-19-
बैर क्यों
इसी कोए मिशाल
भार्इ कदे दुनिया
मैं पार्इ हो।
हिन्दु के घर
मैं आग खुद
कदे खुदा न
लार्इ लार्इ हो।।
राम रहित नानक
र्इसा ये तो
दीखैं नर्म देखो
चमचे इनके हमेश
पावैं पतीले से
गर्म देखो
याद हो किसे
कै बस्ती कदे
राम नै जलार्इ
हो।।
ब्रूनो मारया मारया गांèाी èार्म
की इस राड़
नै
ये किसे èार्म सैं
जित रूखाला खुद
खा बाड़ नै
एक दूजे की
मारी मारी किसे
èार्म नै सिखार्इ
हो।।
घरां मैं बुढ़ापा
ठिठरै मजार पै
चादर चढ़ावैं
बिकाउ सैं जो
खुद वे र्इब
म्हारी कीमत लावैं
खड़े मनिदर मसिजद सुने
बस्ती दे वीरान
दिखार्इ हो।।
सूरज हिन्दू चन्दा मुसिल्म
तारयां की के
जात
किसकी साजिश ये विचारे
क्यों टूटैं आèाी रात
रणबीर èार्म पै
करां क्यों बिन
बात लड़ार्इ हो।
-20-
कैसा घर
ना मनै पीहर
देख्या होगे तीन
साल सासरै आर्इ
नै।
भूल गर्इ मैं
परिवार सारा भूली
बाहण मां जार्इ
नै।।
बीस बरस रही
जिस घर में
उस घर तै
नाता टूट गया
खेली खार्इ जवान हुर्इ
सब किमै पाछै
छूट गया
मेरे सुख नै
कौण लूट गया
बताउं कैसे रूसवार्इ
नै।।
आज तक अनजान
था जो उंतै
सब कुछ सौंप
दिया
विश्वास
करया जिसपै उनै
छुरा कड़ मैं
घोंप दिया
ससुर नै लगा
छोंक दिया ना
समझया बहू परार्इ
नै।।
मनै घर बसाना
चाहया अपणा आप्पा
मार लिया
गलत बात पै
बोली कोण्या मनै
मौन èाार लिया
फेर बी तबाह
घरबार किया ना
देखैं वे अच्छार्इ
नै।।
किसे रिवाज बनाये म्हारे
इन्सान की कदर
रही नहीं
सारी बात बताउं
क्यूकर समझो मेरी
बिना कही नहीं
के के र्इब
तलक सही नहीं
नहीं रणबीर की
लिखार्इ मैं।।
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