रविवार, 24 नवंबर 2013

किस्सा- संघर्ष नर्सों का

किस्सा- संघर्ष नर्सों का
वार्ता: दिल्ली की नर्सें रोहतक आती हैं और यहां की नर्सों का हौंसला बढ़ाती हैं। वे अपने अनुभव मीटिंग में रखती हैं तो सुनने वालों वेफ रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि दिल्ली की बी.जे.पी. की सरकार क्या ऐसा भी कर सकती है। क्या बताया भला:
रागनी
दिल्ली के म्हां बी जे पी नै नर्सां पै दौर चलाया तानाशाही का।।
औछेे हथकण्डे अपनाये लेकै मुखौटा मरीज भलाई का।।
कई सौ नर्स सस्पैंड कर दी दमन का दौर चलाया गया
नौकरी तै काढ़ बाहर करांगे बुरी ढालां धमकाया गया
एस्मा का काला कानून उड़ै सब नर्सां उपर लगाया गया
हड़ताल पेफल करण की खातर नई नर्सों को ल्याया गया
इतना दमन करवैफ मोड़ ना पाई रस्ता म्हारी लड़ाई का।।
म्हारी एकता वेफ साहमी उनवेफ पेफल सभी हथियार होगे
छिन्न-भिन्न कर दी सब तानाशाही चारों कान्हीं प्रचार होगे
जितने तीर चलाये जहरी वे पेफल सभी हर बार होगे
सारी मांग पड़ी माननी जिब खुराना जी जमा लाचार होगे
बी जे पी की सापफ छवि वेफ नीचै यो चेहरा देख्या आत्मताई का।।
हरियाणे की नर्स बढ़ाया कदन ना पाछै ईब हटावैंगी
कहर कितना ढाया जा ये हड़ताल सपफल बणावैंगी
एकता का झण्डा ये सारे हरियाणा वेफ भीतर पफहरावैंगी
इस भ्रष्टाचारी प्रशासन नै आज सही सबक सिखावैंगी
म्हारा संगठन करैगा मुकाबला ना छोडडै लेश बुराई का।।
हरियाणा मैं भी बी जे पी आले उसे उल्टी राही चाल पड़े
एस्मा लागू करवा वैफ मानैं लखावैं दूर बंशीलाल खड़े
बंशीलाल चाहवै राहत देणा बी जे पी वेफ दलाल अड़े
उसनै थूक वैफ पड़ै चाटणा खूंटा ठोक नै छन्द तत्काल घड़े
बख्त जाण लागरया सोच किमै क्यों पकड़या राह तबाही का।।
वार्ता: नर्सों ने अपनी मागों वेफ समर्थन में काले बिल्ले लगाये, धरना दिया, सामूहिक अवकाश लिया, क्रमिक भूख हड़ताल की
मगर बहरी सरकार वेफ कानों पर जूं नहीं रेंगी। नर्सों को आखिरकार एक दिन की सांवेफतिक हड़ताल पर आना पड़ा मगर सरकार पिफर भी सोती रही। अन्त में नर्सों को हड़ताल का सहारा लेना पड़ा। आपस में वे एक दूसरे से क्या कहती हैं भला-
तर्ज: उठो उठो हे सखी लागो हरि वेफ भजन मैं
टेक: देख लाई बाट भतेरी हमनै करया घणा इन्तजार।
इब करणी पड़ै लड़ाई, संगठन नै या बात बताई
बजाई हमनै रणभेरी हे, सम्भाली सै हमनै पतवार।।
काम घणा सै तनखा थोड़ी, उफपर तै जा बांह मरोड़ी
जोड़ी ये नर्स कमेरी हे, दें धरना बहरी सैं सरकार।।
बिना कसूर ये धमकावैं, उल्टे सीधे काम ये चाहवैं
लावैं इल्जाम ये धमकी जहरी हे इन ताहि देवां ललकार।।
वर्दी भत्ता और धोबी भत्ता सब क्याहें नै बतावैं धता
सत्ता आज होई लुटेरी हे हमनै बीर रहया सै पुकार।।
वार्ता: राज्य नर्सिज एसोसिएशन की प्रधान जबसीर कौर एक दिन मैडिकल की नर्सिज की गेट मीटिंग लेने आती है, सुबह सात बजे। मैडिकल की लीडर मन्त्रिायो से बात करने चण्डीगढ़ जा चुकी होती है। गेट मीटिंग में जसबीर नर्सों को बताती है कि 80 प्रतिशत बीमारियों वेफ स्वास्थय विभाग जिम्मेवार नहीं है। मगर सरकार अपनी गल्त नीतियों का दोष भी स्वास्थय विभाग पर मढ़ रही है। जनता को और स्वास्थय कर्मियों को आमने ारमने टकराने वेफ लिए सरकार माहौल बनाने की कोशिश में है मगर ऐसा होगा नहीं। पांच छह नर्सें मिलकर एक समूह गान गाती हैं।
तर्ज: झूठी शरम की चादर पैंफको
टेक: बिना संगठन इब नहीं गुजारा हो जाओं तैयार सखी।।
शोषण क्यों होता है म्हारा करना सही विचार सखी।।
मरीजों का आज नहीं होता सही सही इलाज यहाँ
मरीज चिल्लाते रहते हैं ना सुणता कोए आवाज यहाँ,
उदारीकरण वेफ मन्दिर में इब बलि चढ़ा परिवार सखी।।
स्वास्थय की गलत नीति सैं समझणा बहुत जरूरी हे
बजट घट्या क्यूं आज हमारा वेफ उनकी मजबूरी हे
बिकती सेहत दिखावैं सबको आज बीच बाजार सखी।।
महिलाओं का हरियाणे में क्यूं होता सही सम्मान नहीं
नर्सों की गिरती हालत पै किसे का भी ध्यान नहीं
सुन्दर समाज का लेवैफ सपना सम्भालों पतवार सखी।।
तेहरा शोषण खतम करै जो इसा समाज बणाणा हे
सही जगां मिलै मानवता को इसा संघर्ष चलाणा हे
हो सै शोषण खतम करण का संगठन ही हथियार सखी।।
वार्ता: जूनियर डाक्टर तीन दिन की हड़ताल करते हैं। नर्सिज भी एक दिन की सांवेफतिक हड़ताल ;सामूहिक अवकाशद्ध करती हैं। वुफछ डाक्टर तथा सरकारी अपफसर मजाक करते हैं कि घोड़े को तनाल लगती देख कर मिंडकी भी पांव उठा रही है। सरकारी अपफसर और नर्सिज की लीडर में कापफी कहा सुनी होती है। वैफसे भलाः
सरकारी अपफसर: घोड़ै वैफ तनाल लागती देखी मिंडकी नै पैर उठाया क्यों।।
नर्स डीलर: हमनै मिंडकी वैफहवैफ म्हारा तमनै सम्मान घटाया क्यों।।
सरकारी अपफसर: तनखा भतेरी दे दी हमनै तमनै लागी से अंघाई क्यों
नर्स लीडर: जिन तन लागै ओहे जाणै दुसरा जाणै पीर पराई क्यों
सरकारी अपफसर: खाजाना खाली सै सरकारी तमनै शुरू करी लड़ाई क्यों
नर्स लीडर: म्हारी खातर तो पीस्सै कोन्या बढ़ती जावै काली कमाई क्यों
सरकारी अपफसर: काले धन का जिकरा बीच मैं ल्यावैफ तमनै पफंसाया क्यों।।
नर्स लीडर: बजट की कमी का बहाना तमनै खामैखा अड़ाया क्यों।।
सरकारी अपफसर: हड़ताल पै जावैफ तम क्यों जनता वेफ दुख को भूई
नर्स लीडर: बहोत बख्त दिया थारे तै या म्हारी हलीमी पिफजून गई
सरकारी अपफसर: बालक मरै थारे कारण तम चैड़ी होवैफ नै पूफल गई
नर्स लीडर: आज बालक याद आगे जिब बात पकड़ या तुल गई
सरकारी अपफसर: बिना बात वेफ तमनै आज यो जंग का बिगुल बजाया क्यों
नर्स लीडर: लिख-लिख थकली हमतो म्हारा मांग पत्रा ठुकराया क्यों
सरकारी अपफसर: म्हारी नर्मी देखी सैं तमनै या सख्ती ईब दिखाई जागी
नर्स लीडर: जितना जुल्म ढाया जागा म्हारी ताकत हो सवाई जागी
सरकारी अपसर: बिस्तर बांध वैफ तैयार होल्यो तीन सौ ग्यारा बी लगाई जागी
नर्स लीडर: जय सघर्ष का नारा म्हारा एकता पै जीती लड़ाई जागी
सरकारी अपफसर: काम छोड़ तमनै यो घणा कहर जनता पै ढाया क्यों
नर्स लीडर: सीधी-सीधी नर्सों वेफ उफपर यो कट बजट का लाया क्यों।।
सरकारी अपफसर: थारा मलिया गेट हो ज्यागा जै म्हारे तै खामैखा टकरावै
नर्स लीडर: म्हागी मांग पूरी करण नै बातचीत की राह अपनाओं
सरकारी अपफसर: कौण भकारया बेरा सारा मत उनकी बहका मैं आओं
नर्स लीडर: जायज मांग पूरी करो म्हारी क्यों दुख जनता वेफ बढ़ावा
सरकारी अपफसर: जिद इतनी आच्छी ना होन्ती मूंछ का सवाल बनाया क्यों।।
नर्स लीडर: सिर भी म्हारा जूती म्हारी दिन धौली जुलम कमाया क्यों।।
वार्ता: अखबारों में दिल्ली की नर्सों की हड़ताल वेफ बारे में सम्पादकीय छापते हैं कि स्वास्थ्य संेवाओं में हड़ताल का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। सरकार वेफ बारे में ज्सादा वुुुुफछ नहीं कहा जाता। हरियाणे की नर्सों को बहुुत बुरा लगता है तो हड़ताल हमारा शोक नहीं मजबूरी है। अगले दिन एक नर्स इस पर गीत बना लाती है और आम सभा में सुनाती है।
हड़ताल खुशी मैं ना करती यो मरीजां का खूब ख्याल सै।।
ना सुणती बहरी सरकार देखो किसा कमाल सै।।
च्यार महीने बीत गये यो मांग पत्रा दिया हमनै
बांट देखली भतेरी सबर का घूंट पिया हमनै
म्हंगाई की मार कसूती मुंह अपणा सिया हमनै
हटवैफ नै पफरियाद करी सही रास्ता लिया हमनै
चण्डीगढ़ नै ना सुणते प्रशासन का बुरा हाल सै।।
मरीजा का ध्यान कोण्या ये अखबार न्यों पुकार रहे
बहरी सरकार नै जमा नहीं ये क्यों दुत्कार रहे
अपफसर हुये घमण्डी ये मांग नहीं स्वीकार रहे
उल्टा सीधे म्हारे बारे मैं ये कर झूठा प्रचार रहे
सही बात बी मानैं कोण्या इसका एं म्हारे मलाल सै।।
ला काले बिल्ले सबतै अपणी बात सुणाणी चाही थी
न्याय करो म्हारी गेल्यां या मिलवैफ आवाज उठाई थी
या सरकार रही सोंवती ना आगै बात चलाई थी
दे धारणा जागणी चाही म्हारी खत्म हुई समाई थी
वुफछ न्यों बोले क्यों पंगा लेओ यो साहमी बंसीलाल सै।।
सिंगल सिप्ट पै आगी मरीज बेचारे तंग हारे सैं
नेता अपफसर सब देख लिए सारे नंग होरे सैं
चारों कान्ही हाहाकार मची घणे जुल्मी ढंग होरे सैं
हम जाणां सां अत्याचार जो महिला संग होर सैं
कौण जिम्मेदार हड़ताल का यो वो बीर का सवाल सैं
वार्ता: नर्सों का संघंर्ष शुरू हुए दस दिन हो जाते हैं दिल्ली की नर्सों ने संघंर्ष करवेफ अपने अधिकार हासिल किये। हरियाणा की नर्सों ने भी अपना आन्दोलन तेज कर दिया। सरकार का अड़ियल रवैया बरकरार है। नर्सों की हड़ताल को पैफल करवाने वेफ तौर तरीवेफ शुरू हो गये थे। मगर नर्सां वेफ हौंसले बुलन्द हैं। उनको नौकरी से निकालने की धमकियां दी जाती हैं। सुबह एक दिन सभी नर्सें इकट्ठी हुई तो दो नर्सों ने एक गीत उन्हें सुनाया।
गीत
टेक- जुल्मों सितम नहीं सहेंगी नर्सें अब हरियाणा की।।
हक अपणे ले वेफ रहेंगी नर्सें अब हरियाणा की।।
जनता की बढ़ती बीमारी का कौण जिम्मेदार यहां
वहीं हमे काटता लेकर बड़ी पैनी तलवार यहां
बैठी बैठी तो नहीं लहेंगी नर्सें अब हरियाणे की।।
सरकार बहरी हो गई आर पार की जंग होगी
जनता की हम साथिन जनता हमारे संग होगी
अधिकारों खातिर पफहेंगी नर्सें अब हरियाणे की।।
सब अस्पतालों में मरीजों को सही सही उपचार मिले
काम ज्यादा तनखा थोड़ी नहीं ऐसी सरकार मिले
बेबस होकर नहीं दहेंगी नर्सें अब हरियाणे की।।
बीर दिल्ली की नर्सों ने संघंर्ष का बिगुल बजाया
संघर्ष करते दमन सहते हक अपणा पाया
सारी सच्ची बात कहेंगी नर्सें अब हरियाणे की
वार्ता: नर्सों की हड़ताल बड़े नाजुक दौर से गुजर रही थी। वुफछ डाक्टर हैं जो चाहते हैं कि नर्सों की हड़ताल कामयाब हो। ज्यादातर डाक्टर यही चाहते हैं उनको सपफलता मिले। एक डाक्टर और नर्स वेफ आपस में हड़ताल को लेकर कापफी सवाल जवाब होते हैं। खूंटा ठोक उसकी बाते सुन रहा था। वह सवाल जवाब रागनी में पिरोता है। वैफसे भलाः
सवाल जवाब
डाक्टर: एक धमकी नहीं उटैगी आधी डयूटी पै ज्यांगी।।
नर्स: इतनी हीणी मत समझै जिन्दगी दां पै ला ज्यांगी।।
डाक्टर: बहोत घणी डरपोक सैं ये भाजी भी ना थ्यावैंगी
नर्स: क्यों चावूफ चभोवै खामखा जमा ना पीठ दिखावैंगी।।
डाक्टर: इतना ढेठ कड़ै सै लुक छिप वैफ हाजरी लावैंगी
नर्स: दही भामै रूई ना खावै ये इतिहास बणावैंगी
डाक्टर: साठ की नई भरती पै घणिए पीठ दिखा ज्यांगी।।
नर्स: साची बात छुपै कोण्या हड़ताल सपफल बणा ज्यांगी।।
डाक्टर: हड़ताल कर बैठ गई मरीजां की करड़ाई सै
नर्स: छह-म्हीने तक लाग रही सबतै मांग बताई सै
डाक्टर: बेरा ना वेफ मांग लिया ईब तमने लगी अंघाई सै
नर्स: जिस तन ना पटै बिवाण की जाणै पीर पराई सै
डाक्टर: वेफ ये जो थारी चाल बता सरकार नै रम्भा ज्यांगी।।
नर्स: सरकार देवै धमकी ये वेफ हमनै डरा ज्यांगी।।
डाक्टर: काम-धाम वुफछ कोण्या करती ठीक ब्यौहार नहीं
नर्स: काम घणा संख्या थोड़ी सुणै म्हारी सरकार नहीं
डाक्टर: मानों बात सरकार की आच्छी हो तकरार नहीं
नर्स: जायज समझौते तै करां हम कदे इनकार नहीं
डाक्टर: समझौता ठुकरा दिया तो दिन मैं मुंह बा ज्यांगी।।
नर्स: एकता वेफ दम पै सरकार तै बी टकरा ज्यांगी।।
डाक्टर: सरकार वेफ हाथ सै लाम्बे थारी पारी पार कोण्या जावै
नर्स: हड़खाई सरकार नै या जनता सबक सिखावै
डाक्टर: क्यों उफध लागरी सै सरकार वो भलाई चाहवै
नर्स: जायज मांग मान ले म्हारी क्यों या सींग पंफसावै
डाक्टर: चुनौती देवेफ सरकार नै ये नुकसान ठा ज्यांगी।।
नर्स: खूंटा ठोक म्हारी हाथ सै मंजिल अपणी पा ज्यांगी
वार्ता: नर्सों और मन्त्रिायों में वार्ता मन्त्रिायों वेफ अड़ियल रूख वेफ कारण टूट जाती है। बंसीलाल नर्सों की हड़ताल को वुफचलने का
पफरमान जारी कर देता है। मैडीकल का डा. दुबे उसवेफ पफरमान को सरअन्जाम देने लगता है। नर्सिज बड़ी दुखी होती हैं और क्या कहती हैं:
सरकारी यो आदेश उफपर का सै सन्देश
पेफल करो हड़ताल
दिल पै लागी सै ठेस कर दिया घणा क्लेश
पेफल करो हड़ताल
छह म्हीने धक्वेफ खाये हुई कोए सुणाई ना
काले बिल्ले लाये थे या हरकत मैं आई ना
धरना दिया हमनै सब वुफछ किया हमनै
पसीजे ना बंसीलाल
दिल्ली जितनी तनखा हो चान्द कोण्या मांग रही
प्रदेश की दौलत जितनी उतना ही मांग रही
दिखावै सै तानाशाही यो सै जालिम अन्याई
खड़या करै बवाल।।
हम सबवैफ दिल पै संघर्ष का लिख्या नाम
संघर्ष करने आल्यां तै म्हरा सबका सलाम
साथ दियो पिफलहाल।।
तेरे बोल कंटीले हमारे दिल में चुभते हैं
आजादी वेफ परवाने ना धमकी से रुकते हैं
खूंठा ठोक का ख्याल।।
वार्ता: बंसीलाल की तानाशाही सरकार ने जो मांगे नर्सों की मान ली थी, अब वह उनसे भी मुकर गई। थूक कर चाटना इसी तरह वेफ मौकों पर इस्तेमाल किया जाने वाला मुहावरा है। नर्सों में बड़ा रोष छा गया। मीटिंग में एक नर्स गाकर अपने गुस्से का इजहार करती है। क्या गाया भलाः
कबर खुदेगी
बंसीलाल तेरी कबर खुदेगी आज नहीं तो कल खुदेगी
नर्सों पर जुल्म कमाया।।,
तानाशाही से कितने दिन हरियाणे पर राज करोगे
वो दिन दूर नहीं जब हमारे पैरों पर ताज धरोगे
ये धींगा मस्ती नहीं चलेगी ये वुफर्सी तेरी नहीं बचेगी
नर्सों पर जुल्म कमाया।।
महिलाओं की नहीं कोई सुनाई बंसी तेरे राज में
नर्सों की हुई बेरहम पिटाई बंसर तेरे राज में
ये नर्सें पीछे नहीं हटेंगी परची तेरी जल्द कटेगी
नर्सों पर जुल्म कमाया।।
लिहाज शरम सब बेच वैफ खाई जमा निस्तरग्या क्यों
तम महलां मैं ऐश करो म्हारी तनखा नै मुकरग्या क्यों
तेरे डरावै मैं नहीं आवै यूनियन का साथ निभावैं
नर्सों पर जुल्म कमाया।।
म्हारी मांग जमा गलत नहीं पेफर बी जे पी चुप्पी लारी क्यों
खूंटा ठोक म्हारा साथ निभावै उसकी कलम पुकारी न्यों
आर-पार की छिड़गी जंग नर्स बांध कपफन भिड़गी
नर्सों पर जुल्म कमाया।।
वार्ता: नर्सों वेफ घरों पर उनकी सस्पैंशन वेफ आर्डर भेज दिये जाते हैं। एक बार तो नर्सों में घबराहट पैफल जाती है। मगर उनकी लीडर उन्हें समझाती हैं कि इस प्रकार की गीदड़ भभकियों से डरना चाहिये एक नर्स की सस्पैंशन पर उसवेफ पति से सवाल जवाब होते हैं
पहल्यां मनै समझाई थी मतना हड़ताल पै जावै तूं।।
सरकार नै हरा वैफ दम लेवां क्यों इतना घबराते तूं।।
पति
म्हारे पसीने ल्या राखे इस टरमिनेशन की तलवार नै
तेरी नौकरी पै गुजारा तोहें डाट रही थी घर बार नै
म्हारे कंपकंपी चढ़ा दी तेरी हड़ताल की ललकार नै
दुबे जी का परवाना आग्या सस्पैंशन करी सरकार नै
इब बता वेफ करना सै तमनै क्यों बालका नै रुलावै तूं।।
हिम्मती का राम हिम्मती हो ईब मतना रोक लगावै तूं।।
पत्नी
नगर पालिका वेफ कर्म चारी सैं उनका नाम सुण्या होगा
हकां की खातर लड़ी लड़ाई यो किस्सा तमाम सुण्या होगा
दिल्ली की सरकार ढाली तनै नर्सों का पैगाम सुण्या होगा
हरियाणे की नर्स जाग गई यो जिकरा आम सुण्या होगा
संघर्ष बिना नहीं गुजारा क्यों होंसला म्हारा घटावैं तूं।।
घर क्यूंकर चालैगा स्याणी ना बालकां तरपफ लखावै तूं।।
पति
पहलम आले बख्त कड़ै सैं क्यों भगत सिंह पाक रही
ये बैठी बेरोजगार नर्स थारी नौकरी पै ला ताक रही
इसमें लिख्या बरखास्त करैगा हुक्म सुणा या डाक रही
जावैफ डयूटी ज्वाइन करले क्यों पुफला खामखा नाक रही
स्याणी बात मान ले मेरी क्यों हमनै धरती पै लावै तूं।।
तेरी कही मैं क्यंूकर मोडंूगी मतना कसम दिवावै तूं।।
पत्नी
ईब डयूटी पै लावैफ चढ़गी तो नर्सों की एकता टूट ज्यागी
सरकार न्यारी-न्यारी करवैफ नै हम सबनै वूफट ज्यागी
म्हारी कमजोरी का पफायदा ठावैफ हम सबनै चूट ज्यागी
म्हारी मेहनत और ईमानदारी सबनै या लूट ज्यागी
या दुनिया कहती आई पिया काटैगा उसे जिसे बोवै तूं।।

ले करले होंसला हटवैफ क्यों पार आई नाव डबौते तूं।।

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