पन्दरा अगस्त
पन्दरा अगस्त सैंतालिस का
दिन लाखां जान
खपा कै आया।
घणे हुये कुर्बान
देस पै जिब
आजादी का राह
पाया।।
सैंतालिस
की आजादी र्इब
दो हजार आ
लिया
बस का भाड़ा
याद करो यो
कड़ै सी जा
लिया
सीमैंट का कटटा
कितने का आज
कौणसे भा लिया
एक गिहूं बोरी देकै
सीमैंट हमनै कितना
पा लिया
चिन्ता नै घेर
लिये जिब लेखा-जोखा आज
लगाया।।
आबादी बèाी
दोगणी पर नाज
चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी
जो हालत उसमैं
बताओ के जोड़
èारया
बिना पढ़ार्इ दवार्इ खजाना
सरकारी हमनै रोज
भरया
र्इमानदारी
की करी कमार्इ
फेर बी मनै
कड़ सरया
भ्रष्टाचार
बेइमानी नै क्यों
सतरंगा जाल बिछाया।।
यो दिन देखण
नै के भगत
सिंह नै फांसी
पार्इ थी
यो दिन देखण
नै के सुभाष
बोस नै फौज
बनार्इ थी
यो दिन देखण
नै के गांèाी बापू
नै गोली खार्इ
थी
यो दिन देखण
नै के अम्बेडकर
ने संविèाान
बनार्इ थी
नये-नये घोटाले
सुणकै यो मेरा
सिर चकराया।।
गणतंत्र
दिवस पै कसम
उठावां नया हरियाणा
बणावांगे
भगत सिंह का
सपना अèाूरा
उसनै पूरा कर
दिखावांगे
ना हो लूट
खसोट देस मैं
घर-घर अलख
जगावांगे
या दुनिया घणी सुन्दर
होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै
सोचां गया बख्त
किसकै थ्याया।।
2.तर्ज
: फूल तुम्हें भेजा
है खत में
मैम्बर पंचायत चुनी गर्इ
खुशी गात मैं
छार्इ थी।
ज्ञान विज्ञान आल्यां नै
किमै ज्ञान की
बात बतार्इ थी।।
सबतै पहलम हुआ
सामना सुनियो देवर
मेरे तैं
न्यों बोल्या बैठकां मैं
नहीं जाणा बात
बता दी तेरे
तैं
भार्इ तै मैं
बतला ल्यूंगा इशारे
से मैं èामकार्इ
थी।।
चाही लोगां तै बात
करी घूंघट बीच
मैं यो आण
मरया
घूंघट खोलण की
बाबत यो देवर
नै घर ताण
गिरया
पति मेरे नै
साथ दिया पर
कोण्या पार बसार्इ
थी।।
मिहने मैं एक
मीटिंग हो इसा
पंचायती कानून बताया
मैम्बर सरपंच करैं फैंसला
जा फेर लागू
करवाया
बिना मीटिंग फैंसले ले
कै पंचायत पढ़ण
बिठार्इ थी।।
क्यूकर वार्ड का भला
करूं तिरूं डूबूं
जी मेरा होग्या
सरपंच के चौगरदें
बदमाशां का यो
पूरा ए घेरा
होग्या
घर आला बोल्या
चाल सम्भल कै
मैं न्यों समझार्इ
थी।।
न्यारी-न्यारी सारे कै
हम क्यों होकै
लाचार खड़ी बेबे
यो हमला घणा
भारया सै बिना
हथियार खड़ी बेबे
मजबूत संगठन बणावां रणबीर
नै करी लिखार्इ
थी।
-3-
माणस का धरम
/k रम
के सै माणस
का मनै कोण
बताइयो नै।
माणस मारो लिख्या
कड़ै मनै कोए
दिखादयो नै।।
माणस तै मत
प्यार करो कौणसा रम
सिखावै
सरेआम बलात्कार करो कौणसा
/kरम सिखावै
तम दारू का
ब्यौपार करो कौणसा
/kरम सिखावै
रोजाना नर संहार
करो कौणसा èारम
सिखावै
èारम क्यों खून के
प्यासे मनै कोण
समझादयो नै।।
र्इसा राम और
अल्लाह जिब एक
बताये सारे रै
इनके चाहवण आले बन्दे
क्यूं खार कसूती
खारे रै
क्यों एक दूजे
नै मारण नै
एके जी हाथां
ठारे रै
अमीर देस हथियार
बेच कै खूबै
मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो
काटो लिखै वो
ग्रंथ भुलादयो।।
मानवता का तत
कहैं सब èारमां
की जड़ मैं
सै
प्रेम कुदरत का सारा
सब èारमां की
लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का
रिस्ता माणस की
èाड़ मैं सै
कटटरवाद
नै घेर लिया
यो èारम जकड़
मैं सै
लोगां तै अरदास
मेरी क्यूकरै इनै
छटवादयो नै।।
यो जहर तत्ववाद
का सब èारमां
मैं फैला दिया
कटटरवाद
घोल प्याली मैं
सब तांहि पिला
दिया
स्कीम बणा दंगे
करे इन्सान खड़या
जला दिया
बड़ मानवता का आज
सब èार्मां नै
हिला दिया
रणबीर रोवै खड़या
इनै चुप करवादयो
नै।।
-4-
आपा ...धापी
आपा èाापी माच
रही चारों कूट
रोल्या पड़ग्या।
एक दूजे का
गल काटैं नाज
गोदामां मैं सड़ग्या
म्हारे घर बणे
तबेले रही माणस
की खोड़ नहीं
सोच तै परहेज
करैं बात का
टोहते औड़ नहीं
झूठ पै चालै
पूरी दुनियां साच
का जुलूस लिकड़ग्या।।
मेहनत करी लोगां
नै विज्ञान नै
राह दिखाया
या दुनिया बदल दर्इ
घणा खून पसीना
बाहया
लालची नै डाण्डी
मारी गरीब कै
साहमी अड़ग्या।।
न्याय की बात
भूलगे नहीं ठीक
करया बंटवारा
पांच सितारा होटल दूजे
कान्ही फूटया ढारा
गरीब की कमार्इ
का मुनाफा अमीर
कै बड़ग्या।।
टीवी पै सपने
हमनै आज बूख
दिखाये जावैं
रणबीर तै लालच
दे कै उल्टे
प्रचार कराये जावैं
सच्चार्इ
नै भूल गए
भोग मैं माणस
बड़ग्या।।
-5-
ज्ञान विज्ञान का पैगाम
सुखी जीवन हो
म्यारा ज्ञान विज्ञान का
पैगाम सुणो।
हरियाणे
के सब नर-नारी चूच्ची
बच्चा तमाम सुणो।।
सारे पढ़े लिखे
होज्यां नहीं अनपढ़
टोहया पावै फेर
खाण पीण की
मौज होज्या ना
भूख का भूत
सतावै फेर
बीर मरद का
हक बरोबर हो
इसा रिवाज आवै
फेर
यो टोटा गरीब
की चौखट पै
भूल कै बी
ना जावै फेर
सोच समझ कै
चालांगे तो मुशिकल
ना सै काम
सुणो।।
मिलकै नै सब
करां मुकाबला हारी
और बीमारी का
बरोबर के हक
होज्यां तै ना
मान घटै फेर
नारी का
भार्इचारा
फेर बढ़ैगा नहीं
डर रहै चोरी
जारी का
सुख कै सांस
मैं साझा होगा
इस जनता सारी
का
भ्रष्टाचार
की पूरी तरियां
कसी जावै लगाम
सुणो।।
आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा
मैं न्यारी फेर
दांतां बिचालै आंगली देकै
देखै दुनिया सारी
फेर
गाम स्तर पै
बणी योजना लागू
होज्या म्हारी फेर
गाम साझली èान दौलत
सबनै होज्या प्यारी
फेर
सुख का सांस
इसा आवैगा नां
बाजै फेर जाम
सुणो।।
कोए अनहोनी बात नहीं
ये सारी बात
सैं होवण की
बैठे होल्यां लोग लुगार्इ
घड़ी नहीं सै
सोवण की
इब लड़ां ना आपस
मैं या ताकत
ना खोवण की
बीज संघर्ष का बोवां
समों सही सै
बोवण की
कहै रणबीर गूंजैगा चारों
कूठ यो नाम
सुणो|
-6-
वैज्ञानिक
नजर
वैज्ञानिक
नजर के दम
पै जिन्दगी नै
सुमार लिये।
जीवन दृषिट सही बणाकै
बदल पुराने विचार
लिये।।
सादा रैहणा उंचे विचार
साथ मैं पौषिटक
खाणा यो
मानवता की èाूम
मैच चाहिये इसा
संसार बसाणा यो
सुरग की आड़ै
नरक की आड़ै
ना कितै और
ठिकाणा यो
पड़ौसी की सदा
मदद करां दुख
सुख मैं हाथ
बंटाणा यो
èारती सूरज चौगरदें
घूमै ब्रूनो नै
प्रचार किये।।
साच बोलणा चाहिये पड़ै
चाहे थोड़ा दुख
बी ठाणा रै
नियम जाण कुदरत
के इसतै चाहिये
मेल बिठाणा रै
हाथ और दिमाग
तै कामल्यां चाहिये
दिल समझाणा रै
गुण दोष तै
परखां सबनै अपणा
हो चाहे बिराणा
रै
जांच परख की
कसौटी पै चढ़ा
सभी संस्कार लिये।।
इन्सान मैं ताकत
भारी सै नहीं
चाहिये मोल घटाणा
सच्चार्इ
का साथ निभावां
पड़े चाहे दुख
बी ठाणा
लालची का ना
साथ देवां सबनै
चाहिये èामकाणा
मारकाट की जिन्दगी
तै र्इब चाहिये
पिंड छटवाणा
पदार्थ तै बनी
दुनिया इसनै चीजां
को आकार दिये।।
दुनिया बहोतै बढि़या इसनै
चाहते सुन्दर और
बणाणा
जंग नहीं होवै
दुनिया मैं चाहिये
इसा कदम उठाणा
ढाल-ढाल के
फूल खिलैं चाहिये
इनको आज बचाणा
न्यारे भेष और
बोली दुनिया मैं
न्यारा नाच और
गाणा
शक के घेरे
मैं साइंस नै
रणबीर सब डार
दिये।।
-7-
विवेक
सूरज साहमी कोहरा टिकै
ना अज्ञान विवेक
मयी वाणी कै।
अज्ञानता
छिन्न-भिन्न होण
लगै हो पैदा
चिन्तन न्या प्राणी
कै।।
ढोंग अर अन्èा विश्वास
पै टिक्या चिन्तन
फेर बचै कोण्या
यज्ञ हवन वेद
शास्त्र फेर पत्थर
पूजा प्रपंच रचै
कोण्या
पुरोहित
की मिथ्या बात
का दुनिया मैं
तहलका मचै कोण्या
मन्द बुद्धि लालची माणस
कै विवेकमय दया
पचै कोण्या
शिक्षित
अनपढ़ èानी निर्èान बीच
मैं आवैं फेर
कहाणी कै।।
आत्मा परमात्मा सब गौण
होज्यां सामाजिक दृषिट छाज्या
फेर
समानता एक आèाार बणै
औरत सम्मान पूरा
पाज्या फेर
मानवता पूरी निखर
कै आवै दुनिया
कै जीसा आज्या
फेर
कार्य कारणता नै समझकै
माणस कैसे गच्चा
खाज्या फेर
माणस माणस का
दुख समझै ना
गुलाम बणै राजाराणी
कै।।
संवेदनशील
समाज होवै र्इश्वर
केंद्र मैं रहवै
नहीं
मानव केनिद्रत संस्कृति हो
पराèाीनता कोए
सहवै नहीं
स्वतंत्रता
बढ़ै व्यकित की
परजीवी कोण कहवै
नहीं
खत्म हाें युद्ध
के हथियार माणस
आपस मैं फहवै
नहीं
विवेक न्याय करूणा समानता
खरोंच मारैं सोच
पुराणी कै।।
अदृश्य सत्ता का कोढ़
आड़ै फेर कति
ना टोहया पावै
सोच बिचार के तरीके
बदलैं जन चेतना
बढ़ती जावै
मनुष्य खुद का
सृष्टा बणै कुदरत
गैल मेल बिठावै
कर्म बिना बेकार
आदमी जो परजीवी
का जीवन बितावै
रणबीर बरोने आला ना
लावै हाथ चीज
बिराणी कै।।
-8-
म्हारी खोज म्हारी
सभ्यता
घड़ी बंèाी
जो हाथ पै
इटली मैं हुर्इ
खोज बतार्इ।।
भाप के इंजन
की खोज करी
इंग्लैंड नै ली
अंगड़ार्इ।।
खुर्दबीन
की खोज कदे
नीदरलैंड मैं हुर्इ
बतार्इ सै
बैरोमीटर
तै टारिसैली नै
मौसमी खबर सुणार्इ
सै
गुबारा सतरा सौ
तिरासी मैं यो
हमनै दिया दिखार्इ
सै
टेलीग्राफ
की खोज नै
फेर फ्रांस की
श्यान बढ़ार्इ सै
गैस लाइट के
आणे तै जग
मैं हुर्इ घणी
रूसनार्इ।।
इटली के पी
टैरी नै टाइप
राइटर फेर बणाया
रै
हम्फ्री
डेवी नै लैंप
सेफटी बणा माडल
दिखलाया रै
माचिस की खोज
नै ठारा सौ
छब्बीस याद कराया
रै
साइकिल के बणाणे
आला मैकलिन नाम
बताया रै
ठारा सौ तितालिस
सन मैं फैक्स
मशीन बणार्इ।।
ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या
करे नये-नये
आविष्कार
अमरीका नै लिफट
खोजी मंजिलां की
फेर लागी लार
ठारा सौ बावण
मैं वायुयान नै
फ्रांस मैं भरी
उडार
टेलबेट नै फोटो
खींचण की विèाि कर
दी तैयार
वैज्ञानिक
सोच के दम
पै नर्इ-नर्इ
तरकीब सिखार्इ।।
थामसन नै वैलिडंग
मशीन अमरीका मैं
त्यार किया
एडीसन नै बलब
बिजली जगमगा पूरा
संसार दिया
मोटर साइकिल डैमलर नै
सड़कां पै फेर
उतार दिया
उन्नीस सौ बावण
मैं हाइड्रोजन बम
बी सिंगार लिया
रणबीर आगे की
फेर कदे बैठ
करैगा कवितार्इ।।
-9-
वैज्ञानिक
दृषिट
वैज्ञानिक
दृषिट बिन सृषिट
नहीं समझ मैं
आवै।
कुदरत के नियम
जाण कै समाज
आगै बढ़ पावै।।
किसनै सै संसार
बणाया किसनै रच्या
समाज यो
म्हारा भाग कहैं
माड़ा बांèौं
कामचोर कै ताज
यो
सरमायेदार
क्यों लूट रहया
सै मेहनतकशी की
लाज यो
क्यों ना समझां
बात मोटी कूण
म्हारा भूत बणावै।।
कौण पहाड़ तोड़ कै
करता èारती समतल
मैदान ये
हल चला खेती
उपजावै उसे का
नाम किसान ये
कौण èारा चीर
कै खोदै चांदी
सोने की खान
ये
ओहे क्यों कंगला घूम
रहया चोर बण्या
èानवान ये
करमां के फल
मिलै सबनै क्यों
कैहकै बहकावै।।
हम उठां अक
अनपढ़ता का मिटा
सकां अन्èाकार
यो
हम उठां अक
जोर जुलम का
मिटा सकां संसार
यो
हम उठां अक
उंच नीच का
मिटा सकां व्यवहार
यो
जात पात और
भाग भरोसे कोण्या
पार बसावै।।
झूठयां पै ना
यकीन करां म्हारी
ताकत सै भरपूर
म्हारी छाती तै
टकरा कै गोली
होज्या चकनाचूर
जागते रहियो मत सोइयो
म्हारी मंजिल ना सै
दूर
सिरजन होरे हाथ
म्हारे सैं घणे
अजब रणसूर
नया समाज सुèाार का
रणबीर रास्ता बतावै।।
-10-
ब्रह्रााण्ड
महारा
इस ब्रह्रााण्ड का बेरा
ना सोच-सोच
घबराउं मैं।
èारती चन्द्रमा सूरज ये
उसकी देण बताउं
मैं।।
वैज्ञानिक
दृषिट का पदार्थ
नै आèाार
बताते
नाश हो सकता
बदलै ना आकार
सुणाते
निर्जिव
तै जीव की
उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
हमेश रहै बदलता
क्यूकर या समझाउं
मैं।।
जिज्ञासा
और खोज तै
उपजै उसनै ग्यान
कहैं
क्रम बद्ध ग्यान
नै फेर दुनिया
मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा
नै मारै सै
जो उसको सारे
अग्यान कहैं
गुण दोष पै
जांचै परखै वैज्ञानिक
इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह
तै टकराकै बणै
नयी सोच दिखाउं
मैं।।
मत विश्वास करो क्योंकि
मां बाप नै
बताया सै
शिक्षक नै कैहदी
ज्यांतै आंख मूंद
अपणाया सै
परीक्षण
विश्लेषण पै जो
सर्वहित कारी पाया
सै
प्रयोग तै करैं
दोबारा वो सिद्धांत
आगै आया सै
भाग्यवाद
पै कान èारै
ना उफंके èाोरै
जाउं मैं।।
वैज्ञानिक
दृषिट गुरू अपना
चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै
जो कदे ना
पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी
माणस बीज नर्इ
खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या
विवेक सारे अन्èाविश्वास नै खोज्या
रणबीर जोर लगाकै
बात खोज कै
ल्याउं मैं।।
-11-
बात पते की
मेरा संघर्श
गाम की नजरां
के म्हां कै
बस अडडे पै
आउं मैं।
कर्इ बै बस
की बाट मैं
लेट घणी हो
जाउं मैं।।
भीड़ चीर कै
बढ़णा सीख्या,करकै
हिम्म्त चढ़णा सीखा
लड़भिड़
कढ़णा सीख्या, झूठ
नहीं भकाउ मैं।।
बस मैं के
के बणै मेरी
साथ,नहीं बता
सकती सब बात
भोले चेहरे करैं उत्पात,
मौके उपर èामकाउं
मैं।।
दफतर मैं जी
ला काम करूं,पलभर ना
आराम कंरू
किंह किहं का
नाम èारूं, नीच
घणे बताउं मैं।।
डर मेरा सारा
र्इब लिकड़ गया,दिल भी
सही होंसला पकड़
गया,
जै रणबीर अकड़ गया,
तो सबक सिखाउं
मैं।।
-12-
षोशण हमारा
बदेशी कम्पनी आगी, हमनै
चूट-चूट कै
खागी
अमीर हुए घणे
अमीर, यो मेरा
अनुमान सै।।
हमनै पूरे दरवाजे
खोल दिये,बदेशियां
नै हमले बोल
दिये
ये टाटा बिड़ला
साथ मैं रलगे,
उनकै घी के
दीवे बलगे
बिगड़ी म्हारी तसबीर, या
संकट मैं ज्यान
सै।।
पहली चोट मारी
रूजगार कै, हवालै
कर दिये सां
बाजार कै
गुजरात मैं आग
लवार्इ क्यों, मासूम जनता
या जलार्इ क्यों
गर्इ कड़ै तेरी
जमीन, घणा मच्या
घमसान सै।।
या म्हारी खेती बरबाद
करदी, èारती सीलिंग
तै आजाद करदी
किसे नै भी
ख्याल ना दवार्इ
का, भटठा बिठा
दिया पढ़ार्इ का
घाली गुरबत की जंजीर,
या महिला परेशान
सै।।
या सल्फाश की गोली
सत्यानासी, हर दूजे
घर मैं ल्यादे
उदासी
आठ सौ बीस
छोरी छोरा हजार
यो, बढ़या हरियाणे
मैं अत्याचार यो
लिखै साची सै
रणबीर, नहीं झूठा
बखान सै।।
-13-
लड़की को नसीहत
सीèाा जाणा
सीèाा आणा
तड़कै सांझ मां
मनै समझावै।
गली गोरे मैं
मत हांसिये बिठाकै
रोजाना èामकावै।।
मां मेरी मनै
घणा चाहवै मेरी
घणी करै सम्भाल
दखे
जो सीख्या उसनै मां
पै सिखाया चाहवै
तत्काल दखे
अपणे बरगी गउ
काली मनै आज
बनाया चाहवै।।
इसमैं कसूर नहीं
उसका उसने दुख
ठाया सै भारया
मास्टरनी
होकै बी उसनै
नहीं कदे घुंघट
तारया
कहै यो सै
इज्जत म्हारी जिनै
तारया उनै बिसरावै।।
बोली बीर की
जात नीची या
मर्द जात उंची
हो सै
जो बीर करती
मुकाबला उसका लाजमी
खोह सै
सारे गाम मैं
बीर इसी मुुंह
ठड की उपाèाि पावै।।
बोली भूल कै
बी करिये मतना
बराबरी तूं भार्इ
की
रोटी चटणी खाणा
सीख मत देखै
बाट मलार्इ की
मेरा भला चाहवै
अक बुरा सोच
कै बुद्धि चकरावै।।
-14-
बेर्इमान
का छल
बेइमान डूब कै
मरज्या काम करया
बड़े छल का।
घणी सफार्इ तारै मतना
भरया पड़या तूं
मल का।।
जला गुजरात èार्म उपर
पाछे घणा खिसकाया
सै
मोदी तूं इन्सान
कसूता कितना अन्èोर मचाया
सै
सोच समझ कै
जलाया सै यो
काम बजरंग दल
का।।
योजना बना दंगे
कराये मेरै सुणकै
आया पसीना
मुसलमानां
कै के जी
कोण्या शरद समझ
लिया सीना
कैम्पा मैं पडरया
जीना उड़ै बी
बेरा ना कल
का।।
कीेड़े पड़कै मरियो मोदी
मेरी आत्मा गवाही
देरी
भारत के मां
गुजरात तै लीख
फासीज्म की गेरी
झूठी बात नहीं
मेरी अटल झाड़
बनै तेरे गल
का।।
रणबीर कदे किसे
बस्ती मैं आग
राम नै लगार्इ
हो
खुदा नै हिन्दुआं
की कदे सींख
ला बस्ती जलार्इ
हो
दंग्या तै कदे
हुर्इ भलार्इ हो
जहर बना दिया
जल का।।
-15-
नाम कमाया हे
यो घूंघट तार बगाया
हे, खेता मैं
खूब कमाया हे
खेलां मैं नाम
कमाया हे, हम
आगै बढ़ती जारी
बेबे।।
लिबास पुर रोहनात
गाम मैं बहादरी
खूब दिखार्इ बेबे
अंग्रेजां
तै जीन्द की
रानी नै गजब
करी लड़ार्इ बेबे
हमको दबाना चाहता हे,
नहीं रस्ता सही
दिखाया हे
गया उल्टा सबक सिखाया
हे, म्हारी खूबै
अक्कल मारी बेबे।।
डांगर ढोर की
सम्भाल करी èाार
काढ़ कै ल्यार्इ
बेबे
खूब बोल सहे
हमनै स्कूलां मैं
करी पढ़ार्इ बेबे
सब कुछ दा
पै लाया देखो,
सबनै खवा कै
खाया देखो
ना गम चेहरे
पै आया देखो,
कदे हारी कदे
बीमारी बेबे।।
नकल रोकती बहन सुशीला,
जमा नहीं घबरार्इ
सै
मरकै करी हिफाजत
असूलां की नर्इ
राह दिखार्इ सै
गन्दी राजनीति साहमी आर्इ,
औरतां पै श्यामत
ढार्इ
फेर बी सै
अलख जगार्इ, देकै
कुर्बानी भारी बेबे।।
लड़ती मरती पड़ती
हम मैदाने जंग
मैं डटती देखो
कायदे कानूनां तै आज
म्हारी सरकार हटती देखो
हर महिला मैं लहर
उठी, हर गली
और शहर उठी
सुबह शाम दोपहर
उठी, रणबीर की
कलम पुकारी बेबे।।
-16-
भारत मां
हमारो देश का
नारा जन-मन
से आज पुकार
हुर्इ
आप सिवैया बणे बिणा
कद नैया èाार
तै पार हुर्इ।।
आजाद हुये पर
आजादी का रस
ना घूटटण पाये
दबे पड़े सां
अंèाविश्वासां के
ना जाल तै
छूटटण पाये
आजाद देश मैं
हुया करैं वे
कोप्पल ना फूटटण
पाये
गरीबी आली रेखा
तैं आज तक
ना उपर उटठण
पाये
रक्षक हो गये
भक्षक बाड़ के
खेती आप आहार
हुर्इ।।
जय हिन्द जय हिन्द
खूब पुकारी ना
अर्थ इसका जाण्या
चढ़ी शिखर तै
èाजा आपणी चाहवैं
सै रोज गिराणा
बण देशद्रोही देश को
लूट कै चाहया
रोझै खाणा
फूट गेर कै
महाभारत हम हट
हट कै चाहवां
रचाणा
जात èार्म के
तीर चला दिये
रोज वतन की
हार हुर्इ।।
इस कुदरत नै èारा
गगन और सूर्य
का प्रकाश दिया
वायु के संग
पीवण का जल
मुफत मैं बाहरूं
मास दिया
देश की èारती
खान सै अन्न
की भूख नै
कैसे बास किया
हरी भरी हरियाली
थी क्यों प्रदूषण
नै विनाश किया
आपा èाापी छल
साजिश की कद
नीति साकार हुर्इ।।
जिस देश की
ना जनता जाग्गी वाह
उपर नहीं उभरणी
सोने की चिडि़या
कहया करैं थे
वाह चाहिये याद
सुमरणी
भरग्या समाज बुराइयां
तै याह चिन्ता
चाहिये करणी
दुर्दशा
देश की देख
देख कै म्हारे
चाहिये आंसू गिरणी
कहै नफे सिंह
कोए नब्ज देखियो
भारत मां बीमार
हुर्इ।।
-17-
सेहत दिवस
सेहत दिवस सात
अप्रैल का हम
हर साल मनावैं
रै।
ताजा खाणा पीणा
ताजी हवा तैं
सेहत बणावै रै।।
कुदरत साथ संघर्ष
म्हारा बहोत पुराणा
कहते रै
यो तनाव जब
घणा होवै कहैं
बीमार घणे रहते
रै
बिना कुदरत नै समझैं
माणस दुख हजारां
सहते रै
इसतै मेल मिलाप
होज्या तै सुख
के झरने बहते
रै
जिब दोहण करैं
कुढ़ाला तो उड़ै
रोगै पैर जमावैं
रै।।
सिन्èाु घाटी
की जनता नै
सेहत के नियम
बनाये थे
चौड़ी गाल ढकी
नाली ये घर
हवादार चिनाये थे
पीवण खातर बणा
बावड़ी न्यारे जोहड़ खुदवाये
थे
जितनी समझ थी
उनकी रल मिल
पूरे जोर लगाये
थे
जिब पैदावार के ढंग
बदलैं बीमारी बी
पल्टा खावैं रै।।
माणस मैं लालच
बèाग्या, कुदरत
से खिलवाड़ किया
,बिना सोचें समझें कुदरत
का सन्तुलन बिगाड़
दिया
लालची नै बिना
काम करें बिठा
ऐश का जुगाड़
लिया
माणस माणस मैं
भेद होग्या रिवाज
न्यारा लिकाड़ लिया
समाज के अमीर
गरीब मैं क्यों
न्यारी बीमारी पावैं रै।।
साफ पाणी खाणा
और हवा रोक
सकैं अस्सी बीमारी
ना इनका सही
बंटवारा सै मनै
टोहली दुनिया सारी
जिस èाोरै ये
चीज थोड़ी सैं
उड़ै होवै बीमारी
भारी
होयां पाछै इलाज
सै म्हंगा न्यू
माणस की श्यामत
आरी
रणबीर सिंह नै
छन्द बनाया मिलकै
सारे गावैं रै।।
-18-
सांझी बिरासत
कोणार्क
और एजन्ता एलोरा
म्हारी खूबै श्यान
बढ़ावैं।
चार मीनार कुतुब ताज
महल ये च्यार
चांद लगावैं।।
दोनूं भारत की
विरासत इसतै कौण
आज नाट सकैं
साहमी पड़ी दीखै
सबनै कौण इस
बात नै काट
सकैं
जो पापी तोल
घाट सकैं म्हारी
संस्कृति कै बटटा
लावैं।।
कालिदास
बाणभटट रवीन्द्र नाथ नै
श्यान बढ़ार्इ सै
खुसरो गालिब फिराक हुये
सैं जिनकी कला
सवार्इ सै
न्यारे-न्यारे बांटै जो
इननै भारत के
गछार कुहावैं।।
जयदेव कुमार गंèार्व
भीम सेन जोशी
जसराज दिये
बड़े गुलाम अली मियां
बिसिमल्ला खान नै
कमाल किये
एक दूजे नै
जो नीचा कहते
वे घटियापन दिखावैं।।
सहगल हेमन्त मन्ना और
लता गायकी मैं
छागे ये
रफी नूर जहां
नौशाद साथ मैं
सब जनता नै
भागे ये
रणबीर बरोने आले कान्ही
ये हिन्दु मुसिलम
लखावैं।।
-19-
बैर क्यों
इसी कोए मिशाल
भार्इ कदे दुनिया
मैं पार्इ हो।
हिन्दु के घर
मैं आग खुद
कदे खुदा न
लार्इ लार्इ हो।।
राम रहित नानक
र्इसा ये तो
दीखैं नर्म देखो
चमचे इनके हमेश
पावैं पतीले से
गर्म देखो
याद हो किसे
कै बस्ती कदे
राम नै जलार्इ
हो।।
ब्रूनो मारया मारया गांèाी èार्म
की इस राड़
नै
ये किसे èार्म सैं
जित रूखाला खुद
खा बाड़ नै
एक दूजे की
मारी मारी किसे
èार्म नै सिखार्इ
हो।।
घरां मैं बुढ़ापा
ठिठरै मजार पै
चादर चढ़ावैं
बिकाउ सैं जो
खुद वे र्इब
म्हारी कीमत लावैं
खड़े मनिदर मसिजद सुने
बस्ती दे वीरान
दिखार्इ हो।।
सूरज हिन्दू चन्दा मुसिल्म
तारयां की के
जात
किसकी साजिश ये विचारे
क्यों टूटैं आèाी रात
रणबीर èार्म पै
करां क्यों बिन
बात लड़ार्इ हो।
-20-
कैसा घर
ना मनै पीहर
देख्या होगे तीन
साल सासरै आर्इ
नै।
भूल गर्इ मैं
परिवार सारा भूली
बाहण मां जार्इ
नै।।
बीस बरस रही
जिस घर में
उस घर तै
नाता टूट गया
खेली खार्इ जवान हुर्इ
सब किमै पाछै
छूट गया
मेरे सुख नै
कौण लूट गया
बताउं कैसे रूसवार्इ
नै।।
आज तक अनजान
था जो उंतै
सब कुछ सौंप
दिया
विश्वास
करया जिसपै उनै
छुरा कड़ मैं
घोंप दिया
ससुर नै लगा
छोंक दिया ना
समझया बहू परार्इ
नै।।
मनै घर बसाना
चाहया अपणा आप्पा
मार लिया
गलत बात पै
बोली कोण्या मनै
मौन èाार लिया
फेर बी तबाह
घरबार किया ना
देखैं वे अच्छार्इ
नै।।
किसे रिवाज बनाये म्हारे
इन्सान की कदर
रही नहीं
सारी बात बताउं
क्यूकर समझो मेरी
बिना कही नहीं
के के र्इब
तलक सही नहीं
नहीं रणबीर की
लिखार्इ मैं।।
-21-
वास्कोडिगामा
वास्कोडिगामा
बैठ जहाज मैं
म्हारे देस मैं
आया रै।
मस्साले
गजब म्हारे देस
के इनपै घणा
जी ललचाया रै।।
उस बख्त म्हारे
देस मैं कच्चे
माल की भरमार
बतार्इ
गामां नै पहला
कदम èारया म्हारे
देस की श्यामत
आर्इ
कच्चा माल लाद
कै लेज्यां तैयार
माल की हाट
लगार्इ
कारीगरां
के गूंठ काटे
मलमत म्हारी की
करी तबाही
मेहनतकश
कारीगर देस का
यो घणा गया
दबाया रै।।
र्इस्ट इंडिया कंपनी आर्इ
या देस म्हारे
पै छागी फेर
कब्जा देस पै
करने मैं ना
लार्इ अंग्रेजों नै
कति देर
सहज सहज यो
म्हारा देस अंग्रेजां
नै लिया पूरा
घेर
अपणे चमचे छांट
लिये रै उनकी
कटार्इ पूरी मेर
फूट डालो और
राज करो का
यो तीर गजब
चलाया रै।।
म्हारे देस के
वीरां नै अपणी
ज्यान की बाजी
लार्इ रै
भगत सिंह फांसी
चूम गया देस
की श्यान बढ़ार्इ
रै
महात्मा
गांèाी अहिंसा
पुजारी छाती मैं
गोली खार्इ रै
लक्ष्मी
सहगल दुर्गा भाभी
लड़ण तै नहीं
घबरार्इ रै
जनता नै मारया
मंडासा अंग्रेज ना भाज्या
थ्याया रै।।
हटकै म्हारे देस मैं
बिल गेटस नै
कदम èारया सै
म्हारे देस नै
लूटण खातर इबकै
न्यारा भेष भरया
सै
डब्ल्यू
टी ओ विश्व
बैंक गैल मुद्रा
कोष करया सै
तीन गुहा नाग
यो काला कदे
बिना डंसें सरया
सै
रणबीर सिंह बरोणे
आला सोच कै
छन्द बणाया रै।।
-22-
म्हारी सेहत
बिना रूजगार पैसा मिलै
ना, बिना पीस्से
या दाल गलै
ना
बिना दाल सेहत
बणै नौ, इन
बिन पूरा इलाज
नहीं।।
हमारे शरीर को
चाहिये खाणा साफ
पाणी और हवा
इनके बिना सेहत
बणै ना कितनी
ए खाल्यो चाहे
दवा
प्रदूषण
कौण फैलावै देखो,
ये साèान
कौण घटावै देखो
जिम्मै गरीबां के लावै
देखो, क्यों उठै
म्हारी आवाज नहीं।।
आदमी के रहने
के लिए यो
हवादार मकान चाहिये
दिमाग की सेहत
की तांहि समाज
मैं ना तनाव
चाहिये
प्रबन्èा हो
डाक्टर दवार्इ का, पूरा
माहौल साथ सफार्इ
का
आदमी की सेहत
सवार्इ का, दुनिया
कहती है राज
यही।।
बीमारी के कारण
के के हों
जो इनकी हमनै
टोह कोण्या
म्हारी सेहत ना
ठीक हो जो
म्हारा इसमैं मोह कोण्या
लोगां की सही
भागीदारी बिना, असली नीति
सरकारी बिना
विकास मैं हिस्सेदारी
बिना, स्वास्थ्य रहवै
समाज नहीं।।
अपनी सेहत योजना
जिब शहर और
गाम बणावैं रै
ग्राम सभा मिल
बैठ कै सही
अपणे सुझाव बतावैं
रै
फेर बदलैगी तस्वीर या,
देस की बणैगी
तहरीर या
लिखै सही बात
रणबीर या, फेर
चिडि़या नै खा
बाज नहीं।।
-23-
गणतंत्र
भारत देश
यो गणतंत्र सबतै बडडा
भारत आवै कुहाणे
मैं।
भगत सिंह शहीद
हुये इसके आजाद
कराणे मैं।
दो सौ साल
गोरया नै भारत
गुलाम राख्या म्हारा
था
गूंठे कटाये कारीगरां के
मलमत दाब्या म्हारा
था
सब रंगा का
समोवश था फल
मीठा चाख्या म्हारा
था
भांत-भांत की
खेती म्हारी नहीं
ढंग फाब्या म्हारा
था
फूट गेर कै
राज जमाया कही
जाती बात समाणे
मैं।।
वीर सिपाही म्हारे देस
के ज्यान की
बाजी लार्इ फेर
लक्ष्मी
सहगल आगै आर्इ
महिला विंग बनार्इ
फेर
दुर्गा भाभी अंगरेजां
तै जमकै आड़ै
टकरार्इ फेर
याणी छोरियां नै गोरयां
पै थी पिस्तौल
चलार्इ फेर
गोले लागे राजे
रजवाड़यां नै अपणे
साथ मिलाणे मैं।।
आवाज ठार्इ जिननै उनके
फांसी के फंदे
डार दिये
घणे नर और
नारी देस के
काले पाणी तार
दिये
मेजर जयपाल नै लाखां
बागी फौजी त्यार
किये
फौज आवै बगावत
पै म्हारे बडडे
नेता इन्कार किये
नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी
मैं अंग्रेज लगे
दबाणे मैं।।
आजादी का सपना
था सबकी पढ़ार्इ
और लिखार्इ का
आजादी का सपना
था सबका प्रबन्èा हो
दवार्इ का
आजादी का सपना
था खात्मा होज्या
सारी बुरार्इ का
आजादी का सपना
था आज्या बख्त
फेर सचार्इ का
हिसाब लगावां आजादी का
रणबीर सिंह के
गाणे मैं।।
-24.-
हिसाब
एक क्वींटल गण्डे मैं
कितनी चीनी बणज्या
सै।
सीरा कितना लिकड़ै सै
खोही कितनी बचज्या
सै।।
पढ़ लिख कै
बी अपनढ़ दुनिया
देखो किसी पढ़ार्इ
गोरयां नै या
चाल चली जो
वा इब तक
चलती आर्इ
मेहनत की म्हारी
कमार्इ उसकी झोली
में घलज्या सै।।
एक क्वींटल सरसों मैं
कितना तेल बनाया
भार्इ
कितनी खल लिकड़ी
उसमैं कदे हिसाब
लगाया भार्इ
सारी उम्र भकाया
भार्इ आज बी
हमनै छलज्या सै।।
एक क्वींटल कपास मैं
कितना èाागा बना
दिया
èाागे तै सूती
कपड़ा कितने मीटर
यो पहरा दिया
बिनौला कितना खिला दिया
झोटा क्यूकर पलज्या
सै।।
सारी बातां का नाता
कोण्या आज की
पढ़ार्इ तै
ज्ञान विज्ञान बात सिखावै
पूरी ही चतुरार्इ
तै
रणबीर की कवितार्इ
तै पापी घणा
ए जलज्या सै।।
-25-
सृशिट
सृषिट बारे सब
èार्मां नै न्यारा-न्यारा अन्दाज लगाया।
देवी भगवती पुराण न्यों
बोले एक देवी
संसार रचाया।।
ब्रह्राा
के भगत जगत
मैं ब्रह्रा को
जनक बताते भार्इ
शिव पुराण का किस्सा
न्यारा शिव जी
जनक कहाते भार्इ
गणेश खण्ड न्यों
कहवै गणेश जी
दुनिया चलाते भार्इ
सुरज पुराण की दुनिया
सुरज महाराज घुमाते
भार्इ
विष्णु आले न्यों
रुक्के मारते विष्णु की
निराली माया।।
विष्णु और महेश
के चेले दुनिया
मैं घणे बताये
देखो
आपस मैं झगड़ा
करकै कर्इ बै
सिर फड़वाये देखो
आपस की राड
मेटण नै त्रिमूर्ति
सिद्धांत ल्याये देखो
ब्रह्राा
पैदा करैं विष्णु
पालैं शिव नै
संहार मचाये देखो
बाइल नै सबतै
हटकै पैगम्बर का
नाम चलाया।।
यो बुद्धमत उभर कै
आया त्रिमूर्ति का
विरोèा किया
जैन मत बी
गया चलाया नहीं
दोनों को सम्मान
दिया
यहूदी और èार्म
र्इसार्इ एक र्इश्वर
को èाार लिया
इस्लाम नै एक
खुदा मैं अपणा
लगाया फेर हिया
दुनिया मैं माणस
नै एक र्इश्वर
सिद्धान्त पनपाया।।
बिना सोचें समझें इसाइयां
नै परमेश्वर गले
लगाया सै
मुसलमान
क्यों पाछै रहवैं
यो अल्लाह हाकिम
बनाया सै
सिक्खां
नै शब्द टोह
लिये औंकार झट
दे सी सुनाया
सै
हिन्दुआं
नै तावल करकै
नै ओइम दिल
पै खिनवाया सै
माणस एक पर
èार्म इतने जीवन
क्यूकर जावै बिताया।।
26
सिन्धु घाटी
सुणले करकै ख्याल
दखे, ये गुजरे
लाखां साल दखे
सिंèाु घाटी
कमाल दखे, यो
गया कड़ै लोथाल
दखे,
यो करकै पूरा
ख्याल दखे, खोल
कै भेद बतादे
कोए।।
सुसुरता
नै देष का
नाम करया, वागभटट
नै चौखा काम
करया
ब्रह्रा
गुप्त नै हिसाब
पढ़ाया, आर्यभटट जीरो सिखाया
नालन्दा
नै राह दिखाया,
तक्षशिला गैल कदम
बढ़ाया
तहलका चारों èााम मचाया,
ये गये कडै़
समझादे कोए।।
मलमल म्हारी का जोड़
नहीं, ताज कारीगिरी
का जोड़ नहीं
हमनै सबको सम्मान
दिया, सह सबका
अपमान लिया
ग्रीक रोमन को
स्थान दिया, भगवान
का गुणगान किया
इसनै म्हारा के हाल
किया, या सही
तसबीर दिखादे कोए।।
दो सौ साल
राजा म्हारे देस
के, बदेसी बोगे
बीज क्लेश के
फिरंगी का न्यों
राज हुया, चिड़ी
का बैरी बाज
हुया
सारा खत्म क्यों
साज हुआ, क्यों
उनके सिर ताज
हुया
क्यों इसा कसूता
काज हुया, थोड़ा
हिसाब लगादे कोए।।
लाहौर मेरठ जमा
पीछै नहीं रहे,
म्हरे वीर बहादुर
नहीं डरे
फिरंगी देस के
चल्या गया, कारीगर
फेर बी मल्या
गया
èार्म जात पै
छल्या गया, संविèाान म्हारा
दल्या गया
क्यों इसा जाल
बुण्या गया, रणबीर
पै लिखवादे कोए।।
-27-
पोलीथीन
पोलीथीन
नै म्हारे देष
शहर का कर
दिया बंटा èाार
देखियो के होगा।।
नहीं गलै ना
पिंघलै लोगो èारती पर
तै मिटै नहीं
खेत क्यार का नाश
करै नुकसान करण
तै हटै नहीं
म्हारे जिस्यां पै उटै
नहीं या पोलीथीन
की मार
देखियो के होगा।।
कागज के लिफाफे
म्हारे कति पढ़ण
नै बिठा दिये
सन के थैले
खूंटी टांगे मजे
किसानां तै चखा
दिये
सस्ते दामां बिका दिये
इंहका इसा चढ़या
बुखार
देखियो के होगा।।
गली नाली मैं
जा कै जिब
ये रोक लगादे
भारी सै
गन्दे नाले बैक
मारज्यां फैलै घणी
बीमारी सै
न्यों होवै पीलिया
महामारी सै माचै
घणी हाहाकार
देखियो के होगा।।
बढि़या वातावरण बिना म्हारा
रैहणा मुशिकल होज्या
गा
के बेरा किसका
बालक न्यूं मौत
के मुंह में
सोज्या गा
रणबीर सही छन्द
पिरोज्या गा सही
प्रचार, देखियो के होगा।
-28-
लिंग भेद
स्त्री पुरुष की दुनिया
मैं स्त्री नीची
बतार्इ समाज नै।
फरज और अèािकारां की तसबीर
बनार्इ समाज नै।।
शादी पाछै पति
गेल्यां सम्बन्èा बणाणे
का अèािकार
ब्याह पाछै मां
बणैगी नहीं तो
मान्या जा व्याभिचार
पुरुष चौगरदें घुमा दियो
यो नारी का
पूरा संसार
मां बेटी बहू
सास का रच
दिया घर और
परिवार
एक इन्सान हो सै
महिला या बात
छिपार्इ समाज नै।।
परिवार का दुनियां
मैं पुरुष मुखिया
बणाया आज
सारे फैंसले वोहे करैगा
पक्का फैंसला सुणाया
आज
èान èारती सारी
उसकी कसूता जाल
बिछाया आज
चिराग नहीं छोटी
वंश की छोरा
चिराग बताया आज
संबंèाा की
छूट उसनै या
रिवाज चलार्इ समाज
नै।।
पफर्ज औरत के
बताये घर के
सारे काम करैगी
या
बेटा पैदा करै
जरूरी घर का
रोशन नाम करैगी
या
औरत पति देव
की सेवा सुबह
और श्याम करैगी
या
सारे रीति रिवाज
निभावै बाणे कति
तमाम करैगी या
बूढ़े और बीमारां
की सेवा जिम्मे
लगार्इ समाज नै।।
पुरुष परिवार का पेट
पालै उसका फर्ज
बताया यो
महिला नै सुरक्षा
देवैगा उसकै जिम्मे
लगाया यो
दुभांत का आच्छी
तरियां रणबीर जाल बिछाया
यो
फर्ज का मुखौटा
ला कै औरत
को गया दबाया
यो
बीर हर तरियां
सवार्इ हो या
घणी दबार्इ समाज
नै।।
-29-
रूढि़वाद
रूढि़चाद
यो म्हारे देस
मैं क्यों चारों
कान्ही छाया।
फरज माणस का
सच कहने का
ना जाता आज
निभाया।।
पुराने मैं सड़ांèा उठली
पर नया कुछ
बी कड़ै आड़ै
नया जो चाहवै
सै ल्याणा पार
ना उसकी पड़ै
आड़ै
घनखरा ए माल
सड़ै आड़ै कहैं
राम की सब
माया।।
वैज्ञानिक
सोच का पनपी
लाया कदे विचार
नहीं
पुराणा सारा सही
नहीं हुया इसका
प्रचार नहीं
नये का वैज्ञानिक
आèाार नहीं
अन्èाकार चौगरदें
छाया।।
नये मैं बी
असली नकली का
रास्सा कसूत छिड़ग्या
वैज्ञानिक
दृषिट बिना यो
म्हारा दिमाग जमा फिरग्या
साच झूठ बीच
मैं घिरग्या हंस
बी खड़या चकराया।।
पिछड़े विचारां का प्रचार
जनता नै आज
भकाया चाहवैं
बालकां का दूèा खोस
कै गणेश नै
दूèा पिलाया
चाहवैं
दाग जनता कै
लाया चाहवैं रणबीर
सिंह बी घबराया।।
-30-
झूठे वायदे
सारे आकै न्यों
कहवैं हम गरीबां
की नैया पार
लगावां।
एक बै वोट
गेर दयो म्हारी
èारती पै सुरग
नै ल्यावां।।
वोट मांगते फिरैं इसे
जणु फिरैं सगार्इ
आले रै
जीते पाछे ये
जीजा और हमसैं
इनके साले रै
पांच साल बाट
दिखावैं एडी ठा
ठाकै इन कान्हीं
लखावां।।
नाली तै सोडा
पीवण आले के
समझैं औख करणिया
नै
कार मैं चढ़कै
ये के समझैं
नंगे पांव èारणियां
नै
देसी-विदेसी अमीर लूटैं
इनके हुकम रोज
बजावां।।
गरमी मैं भी
जराब पहरैं के
जाणैं दरद बुआर्इ
का
गन्डे पोरी नै
भी तरसां इसा
बोदें बीज खटार्इ
का
जो लुटते खुले बाजार
मैं उनका कौणसा
देश गिणावां।।
फरक हरिजन और किसान
मैं कौण गिरावै
ये लीडर
ब्राह्राण
नै ब्राह्राण कै
जाणा कौण सिखावैं
ये लीडर
गरीब और अमीर
की लड़ार्इ रणबीर
दुनिया मैं बतावां।।
-31-
मौत के बीज
मोनसैंटो
कम्पनी का देष
मैं घणा कसूता
प्रचार सुणो।
आत्म हत्या के बीज
बेचै ले हार्इ
टैक का हथियार
सुणो।
किसान की मददगार
होण की कसम
खान्ती हाण्ड रही
ज्यादा पैदा करकै
ज्यादा बचाओ उंचे
सुर मैं बाण्ड
रही
सारी दुनिया के किसानां
के कहै करे
खुष घरबार सुणो।
अपने वैब साइट
उपर या हंसते
किसान दिखावै सै
कपास बीज काबू
कर लिया किसान
की फांसी छिपावै
सै
झूठ बोल बोल
कै इसनै लूट
लिया सारा संसार
सुणो।
बीज म्हारी सबकी जिन्दगी
का अहम पक्ष
बताया दखे
इसपै काबू का
मतलब सै म्हारा
जीवन हथियाया दखे
किसान की जिन्दगी
कर काबू सूना
करया परिवार सुणो।
मोनसैंटो
कारण भारत मैं
किसान फांसी खा
मरते रै
कैनैडा मैं पैरी
स्कीमजर का किसान
भोभा भरते रै
बोवमैन अमरीका मैं या
चलारी सै लूटका
बाजार सुणो।
ब्राजील
मैं मोनसैंटोंपै कोर्ट
मैं दावा कर
राख्या दखे
ढार्इ बिलियन पौंड हर्जाना
इसके जिम्मै धर
राख्या दखे
कहै रणबीर बचियो रै
हरियाणा के नर
नार सुणो।
-32-
वजूद र्इश्वर
का
र्इश्वर
का वजूद दुनिया
मैं कोए सिद्ध
नहीं कर पाया।
सबनै अपणे अपणे
ढंग तै उसका
अन्दाज लगाया।।
जो सिद्ध होग्या उसनै
स्वीकारां विज्ञान नै पढ़ाया
यो
जो नहीं हुया
उसनै खोजां विज्ञान
नै सिखाया यो
विज्ञान
सिद्धान्त बनाया यो भगवान
पै सवाल उठाया।।
र्इश्वर
का वजूद स्वीकारैं
इसका मिल्या आèाार कड़ै
बिना सबूत क्यूकर
मानैं र्इश्वर पाया
साकार कड़ै
र्इश्वर
बनाया संसार कड़ै
मामला समझ नहीं
आया।।
मनुष्य नै र्इश्वर
रचाया कल्पना का
साहरा लिया रै
कुदरत खेल समझ
ना आया र्इश्वर
का सहारा लिया
रै
भगवान का भूत
बनाया यो खड़या
खड़या लखाया।।
जिब सिद्ध हो ज्यागा
तो इसका वजूद
रणबीर मानै
इतनै साइंस के प्रयोगां
तै पूरी दुनिया
नै पहचानै
र्इश्वर
नै सारे के
छानै उसनै कड़ै
अपणा èाूना लाया।।
-33-
वैज्ञानिक
नजर के करै
वैज्ञानिक
दृषिट अपणाणे तै
माणस कै फरक
के पड़ज्या।
दैवी शकित तैं
ले छुटकारा वो
खुद प्रयत्नवादी बणज्या।।
आत्म विश्वास बढ़ै उसमैं
अन्èा विश्वासी
फेर रहै नहीं
समस्या की तैह
मैं जावैगा वो
सत्यानाशी फेर रहै
नहीं
तुरत फुरत कुछ
कहै नहीं साच्ची
बात पै जमा
अड़ज्या।।
तर्क संगत विचार
की आदत माणस
के म्हां आज्या
फेर
हवा मैं हार
पैदा करके सार्इं
बाबा क्यूकर भकाज्या
फेर
माणस सही रास्ता
पाज्या पफेर नहीं
तो दिमाग जमा
सड़ज्या।।
बेरा लागै जीवन
मृत्यु का एक
जनम समझ मैं
आवै
आगले पाछले जनम के
पचड़यां तै वो
मुकित पावै
साथ नहीं कुछ
बी जावै म्हारे
मिनटां भीतर सांस
लिकड़ज्या।।
माणस इस जीवन
यात्राा मैं क्यूकर
सुन्दर और बणावै
आपा मारे पार
पड़ै जीवन मैं
या बात समझ
मैं आवै
रणबीर साथ गीत
बणावै कदे थोड़ा
सुर बिगड़ज्या।।
-34-
अन्तहीन संसार
अन्तहीन
संसार का अन्त
कहैं कदे नहीं
आवैगा।
संसार रूकता नहीं कितै
यो आगै बढ़ता
जावैगा।।
विज्ञान
नर्इ खोज करै
मानवता नै सुख
पहोंचावै
विवेक माणस का
फेर इनै सही
दिशा मैं ले
ज्यावै
सत्य खोज निरन्तर
चलावै झूठ नै
हमेश्या ढावैगा।।
पदार्थ हमेश्या गति शील
हो इसका गुण
बताया यो
नष्ट नहीं होवै
कदे बी बदलता
आकार दिखाया यो
साइंस नै पाठ
पढ़ाया यो पदारथ
ना समाप्त होवैगा।।
खोज हमेश्या जारी रहती
न्याें विज्ञान हमनै बतावै
हम बुद्धि गेल्यां काम
करां भावां मैं
बैहने तै बचावै
सिद्ध हुया उसनै
अपणावै बाकी पै
सवाल उठावैगा।।
अज्ञानी
मां बीमार बालक
नै तांत्रिक èाोरै
ले ज्यावैगी
ज्ञानी मां डाक्टर
तै दिखाकै बालक
की दवार्इ ल्यावैगी
भावां मैं बैह
ज्यावैगी तो बालक
ना जमा बच
पावैगा।।
-35-
गलत विज्ञान
मानवता का विनाश
करै जो इसा
इन्सान चाहिये ना।
संसार नै गलत
दिशा देवै इसा
विज्ञान चाहिये ना।।
विज्ञान
पै पाड़या बेरा
अणु मैं ताकत
बहोतै भारी सै
अणु भटटी तै
बणै बिजली जगमगावै
दुनिया सारी सै
अणु बम तो
विनासकारी सै इसा
शैतान चाहिये ना।।
मानवता नै बड़ी
जरूरत सै आज
अन्न और वस्त्रां
की
जंग की जरूरत
जमा नहीं ना
जरूरत अणु शस्त्रां
की
जो पैरवी करै अस्त्रां
की इसा भगवान
चाहिये ना।।
कड़ै जरूरत सै उनकी
कारखाने जो हथियार
बणावैं
बणे पाछै चलैं
जरूरी ये दुनिया
मैं हाहाकार मचावैं
विज्ञान
कै तोहमद लावैं
इसा घमासान चाहिये
ना।।
हिरोशिमा
की याद आवै
शरीर थर-थर
कांपण लाग्गै
विज्ञान
का गलत प्रयोग
मानवता सारी हांफण
लाग्गै
दुनिया टाडण लाग्गै
रणबीर इसा कल्याण
चाहिये ना।।
-36-
ठेकेदारां
की आपा èाापी
या आपाèाापी
मचा दर्इ इन
देस के ठेकेदारां
नै।
सारे रिकार्ड तोड़ दिये
èान के भूखे
साहूकारां नै।।
विकास तरीका घणा कुढ़ाला
बेरोजगार बढ़ाया रै
घर कुणबा कोए छोड़या
ना घणामहाघोर मचाया
रै
बाबू बेटा तै
दारू पीवैं सास
बहू मैं जंग
कराया रै
बूढ़यां
की कद्र कड़े
तै हो जवानां
का मोर नचाया
रै
माणस तै हैवान
बणाये सभ्यता के
थानेदारां नै।।
इसा विकास नाश करैगा
क्यों म्हारै जमा
जरती ना
गरीब अमीर की
या खार्इ क्यों
कदे बी भरती
ना
चारों कान्ही माफिया छाग्या
बुरार्इ आज डरती
ना
अच्छार्इ
मैं ताकत इतनी
फेर बी या
कदे मरती ना
बदेशी कंपनी छागी देदी
छूट राजदरबारां नै।।
अमरीका दादा पाक
गया दुनियां मैं
आतंक मचाया
सíाम हुसैन
साहमी बोल्या यो
इराक पढ़ण बिठाया
युगोस्लाविया
पै बम्ब गेरे
यो कति नहीं
शरमाया
तीसरी दुनिया चूस लर्इ
भारत मैं भी
जाल फैलाया
बदेशी अर देशी
डाकू सिर चढ़ाये
सरकारां नै।।
उल्टी राही चला
दर्इ म्हारे देस
की जनता किसनै
बेरा पाड़ां सोच समझ
कै देश तै
भजावां उसनै
उस विकास नै बदलां
मोर बनाया सै
जिसनै
रणबीर इसा विकास
हो जो मेटदे
सबकी तिसनै
दीन जहान तै
खो देगी जनता
इन दरकारां नै।।
-37-
किस्सा म्हारा-थारा
वार्ता
: सरोज को बहु
झोलरी जाना पड़ता
है। दो चुल्हे
होने के कारण
खरचा और बढ़
जाता है। बाकी
परेशानियां उठानी पड़ती हैं
वह अलग। भरत
सिंह अपणी माड़ी
किस्मत को कोसता
है तो सरोज
एक इतवार को
उसका होंसला बढ़ाती
है और क्या
कहती है? कवि
के शब्दों में
:
जो आया दुनियां
के म्हां उनै
पड़ै लाजमी जाणा
हो।
सुरग नरक किसनै
देख्या बस होसै
फरज पुगाणा हो।।
बीर मरद तै
हो उत्पत्ति या
जाणै दुनिया सारी
सै
पांच भूत के
योग तै या
बणी सृषिट न्यारी
सै
या तासीर खास योग
की जीव मैं
होवै न्यारी सै
मिजाज जिब बिगड़ै
भोग का जीव
नै हो लाचारी
सै
इसकी गड़बड़ मैं मौत
कहैं हो बन्द
सांस जब आणा
हो।।
पहले जनम मैं
जिसे करे कहैं
इस जनम मैं
भुगतै
इस जनम मैं
जिसे करे कहैं
अगले के म्हां
निबटै
दोनों बात गलत
लागै क्यों ना
इसका इसमें सिमटै
साहमी हुए की
चिन्ता ना क्यों
बिना हुए कै
चिपटै
इसे जनम का
रोला सारा बाकी
लागै झूठा ताणा
हो।।
मनुष्य सामाजिक जीव कहैं
बिन समाज डांगर
होज्या
लेकै समाज पै
चाहिये देणा बिन
इसके बांदर होज्या
माली बिना बाग
और खेती बिन
पाणी बांगर होज्या
मरकै कोए ना
आया उलटा जलकै
पूरा कांगर होज्या
साइंस नै बेरा
पाड़ लिया र्इब
छोडडो ढंग पुराणा
हो।।
आच्छे भूण्डे करमां करकै
या दुनिया हमनै
याद करै
या गुणी के
गुण गावै आड़ै
पापी कंस की
यादे तिरै
यो शरीर जल
बणै कारबन प्यारा
कर कर याद
मरै
मेहर सिंह पफौजी
बरोने का रणबीर
करता याद फिरै
करमां आला ना
मरै कदे ना
पाले राम का
गाणा हो।।
-38-
किसे और की
कहानी कोन्या
किसे और की
कहानी कोण्या, इसमें
ये राजा राणी
कोन्या
सै अपनी बात
बिरानी कोण्या, थोड़ा दिल
नै थाम लियो।।
यारी घोड़े घास की
भार्इ, नहीं चालै
दुनिया कहती आर्इ
बाहूं और फेर
बोउं खेत मैं,
बालक रुलते म्हारे
रेत मैं
भरतो मरती मेरी
सेत मैं, अन्नदाता
का मत नाम
लियो।।
जमकै लूटै सै
मण्डी सबनै, बीज
खाद मिलै म्हंगा
हमनै
लूटार्इ
मजदूर किसान की,
ये आंख फूटी
भगवान की
यो भरै तिजूरी
शैतान की, देख
इसके तम काम
लियो।।
छप्पण साल की
आजादी मैं, कसर
रही ना बरबादी
मैं
ये बालक म्हारे
बिना पढ़ार्इ, मरैं
बचपन मैं बिना
दवार्इ
कड़ै गर्इ म्हारी
कष्ट कमार्इ, झूठी
होतै तम लगाम
दियो।।
शेर बकरी का
मेल नहीं सै,
घणी चालै èाक्का
पेल नहीं सै
आप्पा मारैं पार पड़ैगी
म्हारी,, जिब कटठी
होकै जनता सारी,
लीख काढ़ै या सबतै
न्यारी, रणबीर सिंह का
सलाम लियो।।
-39-
बैठया सोचूं
बैठया सोचूं खेत के
डोलै र्इब क्यूकर
होवै गुजारा।
ज्वार बाजरा आलू पिटग्या
गिहूं èाान भी
म्हारा।।
खूब जतन कर
खेत मनै उबड़
खाबड़ संवारे फेर
दस मणे तै
बीस मणे हुये
ज्वार बाजरे म्हारे
फेर
खाद बीज की
कीमतां नै जमा
èारती कै मारे
फेर
पूरे हरियाणा मैं लागे
हरित व्रफांति के
नारे फेर
दस पन्दरा बरसां मैं
इसका यो फुटया
लागै गुबारा।।
èानी किसान जो म्हारे
गाम के फायदा
खूब उठोगे
उपर का èान
खूब कमाया बालक
नौकरी पागे
बिन साèान
आले मरगे दुखां
के बादल छागे
म्हारे नेता गाम
मैं आकै म्हारी
किस्मत माड़ी बतागे
सत्संग मैं जावण
लागे जिब और
ना चाल्या चारा।।
सत्संग मैं बढि़या
बात करैं गरीबी
पै चुप रैहज्यां
सुरग नरक की
बहसां मैं ये
सींग कसूते फैहज्यां
मेरे बरगे रहवैं
सोचते जमा बोल
चुपाके सैहज्यां
जिनकी पांचों घी मैं
वे घटिया बोल
कर्इ कैहज्यां
खेती क्यों तबाह होगी
ना भेद खोल
बतावैं सारा।।
गिहूं पडया सड़ै
गोदामां मैं रणबीर
देख्या जान्ता ना
इसा हाल क्यों
हुया इसका कारण
समझ आन्ता ना
कहैं फूल फल
उपज्याल्यो राह कोए
मनै पान्ता ना
फल फूल कड़ै
बिकैगा या बात
कोण बतान्ता ना
टिकाउ खेती बचा
सकै सै हो
किलोर्इ चाहे छारा।।
-40-
छब्बीस जनवरी
छब्बीस जनवरी का दिन
भार्इ लाखां ज्यान
खपा कै आया
घणे हुए कुर्बान
देश पै जिब
आजादी का राह
पाया।।
सैंतालिस
की आजादी र्इब
यो दो हजार
च्यार आ लिया
बस भाड़ा था कितना
याद करो आज
कड़ै सी जा
लिया
एक सीमेंट कटटा कितने
का आज कौणसे
भा ठा लिया
एक गिहूं की बोरी
देकै आज यो
खाद कितना पा
लिया
चिन्ता नै घेर
लिया जिब यो
सारा लेखा जोखा
लाया।।
आबादी तै बèाी तीन
गुणी पर नाज
चौगुणा पैदा करया
सैंतालिस
मैं थी जो
हालत उसमैं बताओ
के जोड़ èारया
बिना पढ़ार्इ दवार्इ खजाना
हमनै सरकारी रोज
भरया
र्इमानदारी
तै करी कमार्इ
पफेर बी तमनैनहीं
सरया
भ्रष्टाचार
बेइमानी नै क्यों
सतरंगा जाल बिछाया।।
यो दिन देखण
नै के सुभाष
बोस नै फौज
बनार्इ थी
यो दिन देखण
नै के भगत
सिंह नै फांसी
खार्इ थी
यो दिन देखण
नै के गांèाी बापू
जी नै गोली
खार्इ थी
यो दिन देखण
नै के अम्बेडकर
ने संविèाान
रचार्इ थी
नये-नये घोटाले
देख कै यो
गरीब का सिर
चकराया।।
हरियाणा
èारती पै कसम
उठावां नया हरियाणा
बणावांगे
भगत सिंह का
सपना अèाूरा
उनै करकै पूरा
दिखावांगे
ना हो लूट
खसोट देश मैं
या घर-घर
अलख जगावांगे
या दुनिया खूबै सुन्दर
होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै
सोचो गया बख्त
किसकै थ्याया।।
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